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भारत-जर्मनी के रिश्ते विचारों पर हैं आधारित : सिंधिया

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— केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ने जर्मनी में किया भारत का प्रतिनिधित्व

श्रेया अरोरा, नई दिल्ली। भारत और जर्मनी के बीच की साझेदारी एक लिविंग ब्रिज यानी ‘जीवंत पुल’ की तरह है। जिसका निर्माण स्टील या पत्थर से नहीं बल्कि विश्वास और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर किया गया है। यह रिश्ता केवल पारंपरिक और राजनयिक प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह साझा विश्वास, आदर्शों और मूल्यों पर आधारित है। जो दुनिया के दो सबसे गतिशील देशों को आपस में एक- दूसरे से जोड़ने का काम करता है। केंद्रीय दूरसंचार और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह बात कही।
उन्होंने जर्मनी के स्टटगार्ड शहर के एमएचपी एरीना में आयोजित ग्लोबल समिट में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए यह बात कही। सिंधिया ने कहा कि जहां एक तरफ जर्मनी अपनी उत्कृष्टता और स्थायित्व का प्रतीक है, तो वहीं भारत अपनी युवा शक्ति की बदौलत वैश्विक मंच पर चमक बिखेर रहा है।
इस दौरान उन्होंने बताया कि हजारों किलोमीटर की दूरी पर स्थित होने के बावजूद दोनों देश अपनी अनोखी ताकत के कारण गहराई के साथ एक- दूसरे से जुड़े हुए हैं।

एक दशक में अभूतपूर्व बदलाव
सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बीते 10 वर्षों में उन मुश्किल लक्ष्यों को पूरा किया है, जिन्हें पिछले 6 दशकों के दौरान हासिल करना संभव नहीं था। भारत के इस बदलाव में यदि केवल टेलिकॉम सेक्टर की बात की जाए तो पिछले एक दशक में इंटरनेट यूजर की संख्या 250 मिलियन से 970 मिलियन तक पहुंच गई है। वहीं ब्रॉडबैंड यूजर 60 मिलियन से बढ़कर 924 मिलियन हो गए हैं। भारत में आज 1.16 बिलियन मोबाइल सब्सक्राइबर हैं।
उन्होंने मर्सिडीज बेंज का उदाहरण देते हुए कहा कि 35 साल पहले इस कंपनी ने भारत में एंट्री करते हुए अपनी रणनीति को “स्ट्रैटेजिक पेशेंस” कहा था। जबकि आज यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी लग्जरी कार बनाने वाली कंपनी बन चुकी है। भारत की क्षमता और जर्मनी की विशेषज्ञता दोनों आपस में मिलकर दुनिया के सामने एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत कर सकती है।

विचारों पर आधारित हैं संबंध
ज्योतिरादित्य ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जर्मन यात्राओं का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने यहां के दार्शनिकों और विचारकों को शांति निकेतन में आने के लिए निमंत्रित किया था। भारत- जर्मनी के रिश्ते हमेशा से ही विचारों, साहित्य, अविष्कार और नवाचारों के आदान- प्रदान पर आधारित रहे हैं। आज जर्मनी में तकरीबन 50 हजार छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण हैं भारत के चार मजबूत स्तंभ। डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी, डाटा और डिमांड।
उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में पीएम मोदी ने ‘प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना’ का ऐलान किया है। जिसके तहत शुरुआती साल में तकरीबन 1 लाख 25 हजार छात्रों को देश की बड़ी कंपनियों में इंटर्नशिप करने का अवसर मिलेगा। सिंधिया ने “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना पर जोर देते हुए कहा कि भारत और जर्मनी के साझा प्रयास वैश्विक प्रगति की एक नई कहानी लिखने का माध्यम बनेंगे।
Posted by: विजय पाण्डेय

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