पितरों को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए एक खास पखवाड़ा होता है जिसे हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण के कार्य किए जाते हैं। इसलिए जरूरी हो जाता है कि पितृ पक्ष में पूजा के नियमों का भी पालन किया जाए। इनमें खास है तुलसी की पूजा।
धर्म डेस्क। पितृ पक्ष शुरू हो गए हैं। हिंदू परिवारों में पितरों का तर्पण और श्राद्ध किए जा रहे हैं। लोग प्रति दिन नदी, तालाब और सार्वजनिक कुंओं पर स्नान कर सूर्य देव और पितरों को जल अर्पित कर रहे हैं।। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जातक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही तुलसी के नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, इन नियमों का पालन न करने से पितृ नाराज हो सकते हैं और जीवन में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं तुलसी पूजा के नियमों के बारे में।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में तुलसी की विशेष पूजा-अर्चना करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ ही धन लाभ के योग बनते हैं, लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखें कि पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने वाले जातक को तुलसी की पूजा-अर्चना नहीं करनी चाहिए।
पूजा में रखें इन बातों का ध्यान
— पितृ पक्ष में तुलसी के पौधे को छूने की मनाही है। पूजा करते समय ध्यान रखें कि दूर से हाथ जोड़कर तुलसी माता का ध्यान करें और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। मान्यता है कि तुलसी को स्पर्श करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
— इसके अलावा तुलसी की पत्तियों को भूलकर भी नहीं तोड़ना चाहिए, क्योंकि पितृ पक्ष में तुलसी की पत्तियों को तोड़ना वर्जित है। माना जाता है कि इस कार्य को करने से पितृ नाराज हो सकते हैं और आर्थिक तंगी की समस्या आ सकती है।
PostedBy : मंजू सोनी