कोर्ट ने सरकार की मंशा पर भी प्रश्न चिंह लगाते हुए कहा कि कुछ लोगों को जब 2022 में नोटिस जारी किए गए थे तो अब 2024 में जल्दबाजी क्यों हो रही है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। न किसी का आशियाना उजड़े न ही किसी दुकान। लेकिन कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस ऑर्डर में सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइंस के अवैध अतिक्रमण नहीं शामिल हैं। वहां सरकार के अतिक्रमण हटाने पर बुलडोजर चलाने में कोई रोक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने पर केंद्र ने इस ऑर्डर पर सवाल उठाया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं।
इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- अगर कार्रवाई दो हफ्ते रोक दी तो आसमान नहीं फट पड़ेगा। आप इसे रोक दीजिए, 15 दिन में क्या होगा?
जस्टिस ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कोर्ट धारणाओं से प्रभावित नहीं होता, लेकिन हम साफ कर रहे हैं कि हम किसी भी अवैध अतिक्रमण के बीच नहीं आएंगे, लेकिन अधिकारी जज नहीं बन सकते। कोर्ट ने सरकार की मंशा पर भी प्रश्न चिंह लगाते हुए कहा कि कुछ लोगों को जब 2022 में नोटिस जारी किए गए थे तो अब 2024 में जल्दबाजी क्यों हो रही है।
जस्टिस ने कहा कि कोर्ट बाहरी शोर से प्रभावित नहीं होते हैं। अभी हम इस पॉइंट पर नहीं जा रहे हैं कि किस समुदाय पर एक्शन लिया जा रहा है। अगर एक भी अवैध बुलडोजर एक्शन है तो यह संविधान के खिलाफ है। याचिकाकर्ता कह रहे हैं कि धर्म विशेष के लिए तोड़फोड़ की कार्रवाई हो रही है। अब कोर्ट इस मामले में 1 अक्टूबर को सुनवाई करेगा, तब तक देश में एक भी तोड़-फोड़ नहीं होनी चाहिए।