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तथ्यों को परखने के बाद ही प्रकाशित और प्रसारित हो खबर

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— जनसंपर्क संचालक ने बताया फैक्ट चैक से बढ़ती है खबर की विश्वसनीयता, डिजिटल मीडिया में है इसका बेहद महत्व — न्यू एज मीडिया, कन्वर्जेंस, सोशल मीडिया व डिजिटल मीडिया कौशल उन्नयन विषय पर आयोजित की गई संभागीय कार्यशाला में सिखाए नवीन तकनीक के उपयोगी गुर

ग्वालियर। समाज में लोग हमारे लिखे और बोले पर भरोसा करते हैं। इसलिए जरूरी हो जाता है कि किसी भी खबर को प्रकाशित और प्रसारित करने से पहले उसके फैक्ट अवश्य चैक करें। क्योंकि तथ्यों को परखने के बाद प्रसारित खबर से जनता में हमारा भरोसा बढ़ता है। जनसंपर्क विभाग के संचालक अंशुल गुप्ता ने यह बात कही।

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जन संपर्क विभाग के तत्वावधान में न्यू एज मीडिया, कन्वर्जेंस, सोशल मीडिया व डिजिटल मीडिया के कौशल उन्नयन को बढ़ावा देने के लिए होटल तानसेन में आयोजित ग्वालियर-चंबल की एक दिवसीय कार्यशाला में उन्होंने यह बात कही।
ंकार्यशाला में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की डीन एवं विभागाध्यक्ष न्यू मीडिया प्रौद्योगिकी डॉ. पी. शशिकला, विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी एवं निदेशक प्रशिक्षण डॉ. जया सुरजानी विषय विशेषज्ञ के तौर पर मौजूद रहे।

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ब्रांडिंग का बेहतर माध्यम है सोशल मीडिया
प्रथम तकनीकी सत्र में न्यू मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग की एचओडी डॉ. शशिकला ने “सोशल मीडिया समाचारों व स्टोरी के फैक्ट चैकिंग के विशेष संदर्भ” में मौजूदा परिवेश में न्यू मीडिया के विविध पहलुओं को विस्तार से समझाया। साथ ही सोशल मीडिया के उपयोग से शासन की लाभदायक योजनाओं को आम व्यक्ति तक अधिक से अधिक प्रसारित करने का बेहतर तीरका बताया। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया ब्रांडिंग का बेहतर माध्यम बन गया है। लेकिन इसके जरूरी हो जाता है कि कोई भी पोस्ट शेयर करने से पहले फैक्ट चैकिंग अवश्य करें। क्योंकि फैक्ट चैक न होने के कारण मिसइन्फोर्मेशन व डिसइन्फोर्मेशन के हालात पैदा होते हैं। जो घातक साबित हो सकते हैं। पत्रकारों से फेक न्यूज से बचने और उनके लिए आवश्यक रूप से बरती जाने वाली सावधानी के बारे में अवगत कराया। डीप फेक के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।

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सायबर फ्रॉड से बचना है तो अपनाएं ये तरीके
द्वितीय तकनीकी सत्र में एक्सपर्ट आशीष साहू ने पत्रकारिता में एआई की उपयोगिता और सायबर फ्रॉड से बचने के बारे में सारगर्भित जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एआई के उपयोग से पत्रकारिता में चार चांद लग रहे हैं। घंटों का काम मिनटों में हो रहा है। चैट जीपीटी ने पत्रकारों की राह आसान कर दी है। उन्होंने पत्रकारों को समाचार से संबंधित टूल्स के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि कुछ टूल्स निःशुल्क होते हैं तो कुछ पेड होते हैं। एआई टूल्स की सटीक जानकारी होने से हम कुछ सायबर फ्रॉड से बच सकते हैं।
विकास पत्रकारिता है उपयोगी
कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी ने कहा कि आज विकास पत्रकारिता को हमारे समाचार माध्यमों में बहुत कम स्थान मिल पा रहा है। जबकि विकास पत्रकारिता बेहद उपयोगी है। सोशल मीडिया की व्यापकता और इससे प्राप्त होने वाले रोजगार के अवसरों के बारे में भी उन्होंने उपयोगी जानकारी दी।
जनसंपर्क का प्रभावी माध्यम है सोशल मीडिया
प्रशिक्षण निदेशक डॉ. सुरजानी द्वारा सोशल मीडिया तथा जनसंपर्क विषय का महत्व बताते हुए कहा कि सोशल मीडिया द्वारा किसी भी संस्था का प्रभावी ढंग से जनसंपर्क किया जा सकता है। मौजूदा दौर में सोशल मीडिया जनसंपर्क का प्रभावी माध्यम बन गया है।
संचालन जन संपर्क अधिकारी हितेंद्र भदौरिया ने तथा प्रभारी अपर संचालक संजय जैन ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर अंचल के जिलों के जनसंपर्क अधिकारी, सोशल मीडिया हैण्डलर, न्यूज एज मीडिया से जुड़े प्रतिनिधिगण एवं सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर मौजूद रहे।
Posted By : विजय पाण्डेय

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