Sandhya Samachar

“लिटिल बॉय“ ने मचाई थी “हिरोशिमा“ में तबाही

173 views

— हिरोशिमा-डे पर विशेष : अमेरिका ने दिया था जापान को कभी न भूलने वाला दर्द

हिरोशिमा दिवस इतिहास की घटना की कड़वी सच्चाई की याद भर नहीं है बल्कि यह हमें स्मृति के साथ ही शांति और अहिंसा के महत्व की याद दिलाता है। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करने के साथ ही समझने का मौका देता है कि युद्ध के परिणाम कितने विनाशकारी हो सकते हैं। हमें ऐसे कदम उठाने चाहिएं जिससे विश्व शांति और स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ सकें। क्योंकि शांति और अहिंसा का मार्ग ही वह मार्ग है जो हमें एक सुरक्षित और खुशहाल भविष्य की ओर ले जा सकता है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि अतीत से सीखकर भविष्य की दिशा में सकारात्मक कदम उठाएं जाएं। आईये इस दिवस पर करते हैं असमय ही काल के गाल में समाए हजारों लोंगों की आत्म शांति के लिए प्रार्थना।

डॉ.केशव पाण्डेय

—- 6 अगस्त को प्रतिवर्ष हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है। जो 79 वर्ष पहले आज ही के दिन 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की विभीषिका की स्मृति के रूप में याद किया जाता है। यह दिन हमें युद्ध की विनाशकारी प्रभावों की याद दिलाता है और शांति की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
अमेरिका ने हिरोशिमा पर जिस बम को गिराया था उसका नाम था “लिटिल बॉय“। जबकि नागासाकी पर गिराया गया बम “फैट मैन“ था। अमेरिका के इस हमले में हिरोशिमा के 1 लाख 40 हजार लोग और नागासाकी में करीब 74 हजार लोग मारे गए थे। सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर अमेरिकी विमान ’एनोला गे’ से लिटिल बॉय’ नामक परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया। ’लिटिल बॉय’ एक बंदूकनुमा परमाणु बम था। इसमें एक साधारण डिज़ाइन का इस्तेमाल कर 65 किलो यूरेनियम को भरा गया था। यूरेनियम 235 के एक टुकड़े को दूसरे में फेंका गया था, जिससे लगभग 15 किलोटन बल वाला शक्तिशाली विस्फोट हुआ।
हालांकि जापानी रडारों ने दक्षिण की ओर से 6 अगस्त को सुबह 7 बजे आ रहे अमेरिकी विमानों को देख लिया, जिसके कारण चेतावनी का सायरन बज गया। अमेरिकी वायु सेना के कर्नल पॉल टिबेट्स ने अपने बी-29 विमान से 8 बजकर 15 मिनट पर “लिटिल बॉय“ को हिरोशिमा के ऊपर गिराया और बम को नीचे आने में सिर्फ 43 सेकेंड लगे। हालांकि, बम अपने लक्ष्य से 250 मीटर की दूरी पर जाकर गिरा। जिस समय परमाणु बम गिरा था उस दौरान समय हिरोशिमा का तापमान चार लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।
आपको बता दें कि एक सितंबर 1939 में शुरू हुए द्वितीय विश्व युद्ध को छह साल पूरे हो गए थे, फिर भी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही थी। इस दौरान जापान एक ताकतवर देश हुआ करता था और इस युद्ध में लगातार हमला कर रहा था, तभी इसके हमले को रोकने के लिए अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला कर दिया और जापान को उसने कभी नहीं भूलने वाला दर्द दे दिया। द्वितीय विश्व युद्ध को 1939 से लेकर 1945 तक लड़ा गया।
अमेरिका ने हिरोशिमा के तीन दिन बाद ही 9 अगस्त को जापान के एक और शहर नागासाकी पर “फैट मैन“ नाम के परमाणु बम से हमला किया। इस हमले में करीब 74 हजार लोग मारे गए थे। 4 हजार 500 किलो वजनी “फैट मैन“ 6.5 किलो प्लूटोनियम से भरा हुआ था।
आपको बता दूं कि अमेरिका ने पहले क्योटो को निशाना बनाया था क्योंकि इस शहर में कई प्रमुख यूनिवर्सिटी थी। कई बड़े उद्योग यहां से संचालित होते थे। इसके अलावा इस शहर में दो हजार बौद्ध मंदिर और कई ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद थीं। क्योटो की अहमियत को देखते हुए परमाणु बम हमले का पहला टारगेट चुना गया था। हालांकि, युद्ध सचिव हेनरी स्टिमसन भी अपनी जिद पर अड़ गए थे। वह सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी ट्रूमैन के पास गए और इसे टारगेट लिस्ट से हटाने की मांग की।
अमेरिका ने क्योटो को छोड़ दिया लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी के हमलों में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी जबकि कई लोग रेडियोएक्टिव यानी कि काली बारिश की चपेट में भी आए। इस बमबारी के कारण दूसरा विश्व युद्ध तुरंत खत्म हो गया और जापान ने 14 अगस्त 1945 को मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
हिरोशिमा पर गिराए गए बम ने शहर को पूरी तरह से तबाह कर दिया। इमारतें जलकर राख हो गईं, सड़कें और पुल नष्ट हो गए और शहर का बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया। विकिरण के प्रभाव से कई लोग बीमार हो गए। इस बमबारी के बाद, हिरोशिमा में जीवन दुभर हो गया। लोग अपने प्रियजनों को खो चुके थे और शहर के पुनर्निर्माण की चुनौती उनके सामने थी।
कभी न भूलने वाले दर्द के बाद हिरोशिमा में एक शांति स्मारक बनाया गया। जिसे ’हिरोशिमा पीस मेमोरियल’ कहा जाता है। यह स्मारक उन सभी लोगों को समर्पित है जिन्होंने बमबारी में अपनी जान गंवाई। वहां आज के दिन शांति समारोह आयोजित किया जाता है, जिसमें लोग मौन धारण करके मृत लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित कर शांति की प्रार्थना करते हैं।
इस दौरान विश्वभर में विभिन्न कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें लोगों को परमाणु हथियारों के खतरे और शांति की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में नई पीढ़ी को इस घटना की गंभीरता के बारे में समझाया जाता है।
हिरोशिमा दिवस इस बात की प्रेरणा देता है कि हम सभी को मिलकर शांति और अहिंसा की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। हमें यह समझना होगा कि युद्ध और हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकते। विश्वभर के नेता और नागरिक मिलकर ऐसे कदम उठाएं जिससे विश्व में शांति और स्थिरता स्थापित हो सके। क्योंकि अमेरिका द्वारा जापान के दो शहरों पर गिराया गया बम इतिहास के पन्नों में काला अध्याय के नाम से दर्ज है। हर साल शांति की राजनीति को बढ़ावा देने के लिए इस दिन को याद करते हुए हिरोशिमा डे के रूप में मनाया जाता है।
( लेखक सांध्य समाचार के प्रधान संपादक हैं )

Leave a Comment

मौसम का मिज़ाज़

India, IN
overcast clouds
30%
2.1km/h
85%
34°C
34°
34°
33°
Sat
29°
Sun
28°
Mon
28°
Tue
29°
Wed

About Us

हमारी वेबसाइट का प्रमुख उद्देश्य सार्वजनिक रूप से जानकारी प्रदान करना है, और हम आपको विभिन्न विषयों पर लेख और समाचार प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं।

Contact Info

Address:

Sandhya Samachar, In front of Hotel Shelter, Padav, Gwalior. 474002

Email:

info@oldsamachar.nezovix.in

Contact Number:

+91 94251 11819

© Copyright 2023 :- Sandhya Samachar, All Rights Reserved. Designed and Developed by Web Mytech