दंदरौआ सरकार धाम के महामंडलेश्वर ने मुरार नदी जीर्णोंद्धार अभियान में की कारसेवा, लोगों को बताया नदियों का महत्व
गुरुवार को भारत विकास परिषद के सदस्य करेंगे नदी की सफाई
ग्वालियर। भारतीय संस्कृति पूरी दुनिया में वंदनीय और अनुकरणीय है। क्योंकि हमारी संस्कृति मेंं पशु, पक्षी, वृक्ष और नदियों को विशेष महत्व दिया गया है। नदियां सदैव आस्था का प्रतीक रही हैं। शास्त्रों में नदी को माता की संज्ञा दी गई है। लेकिन समय के साथ बदलते काल चक्र ने इन जीवनदायिनी धाराओं को अभिशप्त कर दिया है। मौजूदा परिवेश में निर्मल जल की अविरल धारा की जगह प्रदूषित काला पानी इनकी पहचान बन गई है। इसलिए हम सब का दायित्व बनता है कि नदियों के अस्तित्व को बचाने के लिए सामूहिक रूप से आगे आएं और इनकी स्वच्छता के लिए हाथ बढ़ाएं।
दंदरौआ धाम के महामंडलेश्वर रामदास महाराज ने बुधवार को मुरार नदी जीर्णोंद्धार अभियान में कारसेवा के दौरान उपस्थित जनसमूह से आग्रह करते हुए यह बात कही।
महामण्डलेश्वर ने नदी स्वच्छता अभियान में लगे कार सेवकों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आज प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ के कारण क्षेत्र का पर्यावरण एवं भूजल स्तर तेजी से बिगड़ रहा है, जो भविष्य में मानव जाति के लिए दुखद साबित हो सकता है। यदि हमें पर्यावरण को बचाना है तो नदियों के किनारे और जंगलों में सघन रूप से पौधरोपण करना होगा। उन्होंने नागरिकों से एक पेड मां के नाम अभियान के तहत मुरार नदी के किनारों पर पौधरोपण करने का आग्रह किया।

अभियान के सूत्रधार एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पाण्डेय ने मुरार नदी के अतीत और वर्तमान से अवगत कराते हुए उसके पुराने वैभव को लौटाने की बात कही। साथ ही कहा कि समय रहते नहीं चेते तो परिणाम गंभीर होंगे इसलिए भावी पीढ़ी के सुखद जीवन के लिए हमें अभी त्याग करना होगा।
पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल सहित अनेक कारसेवकों ने महामंडलेश्वर का पुष्पहारों से स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया।