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संतों ने बताया जीवन में नदी का महत्त्व

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नदी की सफाई में समाज की भलाई ….संतों के मार्गदर्शन में बनी मुरार नदी के जीर्णोंद्धार की कार्य योजना…तीन जुलाई से होगा अभियान का आगाज, सभी वर्गां का मिलेगा साथ
ग्वालियर। नदी से नाला बन अपने अस्तिव के लिए गुहार लगा रही वैशाली(मुरार) नदी का जीर्णार्ंद्धार अभियान का तीन जुलाई से आगाज होगा। संतों के सानिध्य में हुई बैठक में इस बात का निर्णय लिया गया।
मुरार की वैशाली नदी करे पुकार … गंदगी, अतिक्रमण से करो मेरा उद्धार की भावना के अनुरूप शनिवार को गोयल वाटिका हुरावली में संत समाज की अगुवाई में विशेष बैठक आयोजित की गई।

बैठक में संतों ने आशीर्वचन देते हुए सर्व समाज के लोगों को एकजुट होकर इस पावन और मानव जीवन से जुड़े अभियान को सार्थक और सफल बनाने का आव्हान किया।
महामंडलेश्वर रामदास महाराज ने कहा कि मानव जीवन के लिए नदी की अविरल धारा का होना आवश्यक है।
खनेता धाम के महामंडलेश्वर राम भूषण दास महाराज ने कहा कि नदियों की दशा दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। जो भविष्य के लिए ठीक नहीं है। नदी की सफाई से समाज की भलाई है। इसलिए हमसभी को आगे बढ़कर नदी का अस्तित्व बचाना है।

महामंडलेश्वर हरिदास नागाजी महाराज जड़ेरुआ धाम ने कहा कि नदियों को भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्व है।
संत कृपाल सिंह महाराज ने कहा कि नदियों से मानव के साथ ही जीव-जंतु भी जीवन पाते हैं। नदी को बचाना हमारा नैतिक कर्तव्य है, ताकि पर्यावरण और जलीय वातावरण सुखद रहे। संतों के साथ सर्व समाज के लोगों को मिलकर श्रमदान करना चाहिए।
महामंडलेश्वर संतोष गुरु ने कहा कि परमार्थ कार्य करने की ओर जब मनुष्य बढ़ता है तो उसका स्वरूप ईश्वरत्वव की ओर अग्रसर होता है। अस्तित्व को तरसती नदी को मूल स्वरूप में लाने का संकल्प सामाजिक सहभागिता से ही पूरा होगा।

लालटिपारा गौशाला के प्रेमानंद महाराज ने कहा आधुनिक परिवेश में लोग अपनी संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। नदी मां के समान हैं। इसका सम्मान करना चाहिए। नदी के जीवित रहने से ही मानव जीवन का अस्तित्व है।
संत गोपाल शरण ने कहा कि मुरार नदी के जीर्णोंद्धार को जो संकल्प लिया गया है वह श्रेष्ठ है। मैं स्वयं इस संकल्प के साथ जुडूंगा। सफाई से लेकर पौधे लगाने तक तन-मन और धन से हर संभव सहयोग करूंगा।
पुर्व विधायक मुन्नालाल गोयल ने मुरार नदी को स्वच्छ और सुंदर बनाने के अभियान को जन आंदोलन का स्वरूप देना पडे़गा, इस कार्य में सरकार और प्रशासन भी आपके साथ है। संतों ने जो ज्ञापन प्रेषित किया है उन बिंदुओं को नमामि गंगे प्रोजेक्ट मेंं जुड़वाने हेतु राज्य सरकार और प्रशासन से चर्चा की जाएगी।

डॉ. केशव पाण्डेय ने संतों का स्वागत करते हुए अभियान की जानकारी दी और बताया कि नदी की सफाई मौजूदा परिवेश में क्यों आवश्यक है।
बैठक का आगाज विक्रम राणा के शंखवादन (फूंकने)के साथ हुआ। डॉ. पाण्डेय एवं गोयल ने पुष्पहार एवं शॉल और श्रीफल से संतों का स्वागत कर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन पवन दीक्षित ने किया।
इस दौरान समाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी, समाज सेवी, व्यापारी, स्वयं सेवकों ने स्वेच्छा से संकल्प-पत्र भरकर तीन जुलाई से शुरू होने वाले अभियान में श्रमदान करने की तारीख तय की। PostedBy : विजय पाण्डेय

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