भारत और अमेरिका के बीच लंबित P-8I मेरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट डील फिर रफ्तार पकड़ रही है। अगले हफ्ते दिल्ली में होने वाली उच्चस्तरीय वार्ताओं में करीब 6 अतिरिक्त P-8I विमानों की खरीद पर चर्चा होगी। यह सौदा लगभग 4 अरब डॉलर का बताया जा रहा है, जो भारतीय नौसेना की समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी क्षमता को और मजबूत करेगा।
क्या है नया
अमेरिकी रक्षा विभाग और बोइंग के अधिकारी 16 से 19 सितंबर तक दिल्ली पहुंचेंगे और इस डील पर बातचीत करेंगे। इसे दोनों देशों के बीच हाल में ठंडे पड़े रिश्तों में पिघलाव का संकेत माना जा रहा है।
भारत के पास पहले से 12 P-8I
भारतीय नौसेना के पास पहले से ही 12 P-8I विमान मौजूद हैं, जो लंबी दूरी की निगरानी, एंटी-सबमरीन वारफेयर और समुद्री सुरक्षा में गेम-चेंजर साबित हुए हैं। 6 नए विमान जुड़ने से हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की कवरेज और पैठ और मजबूत होगी।
अगस्त में अटकी थी डील
टैरिफ और लागत बढ़ोतरी की वजह से इस डील को अगस्त में रोक दिया गया था। लेकिन अब वार्ताओं के रीस्टार्ट होने से सौदे के फाइनल होने की उम्मीद बढ़ गई है।
क्यों अहम है P-8I
P-8I में उन्नत रडार, सोनोबॉय, टॉरपीडो और एंटी-शिप हथियार लगे हैं, जो दुश्मन की पनडुब्बियों को ट्रैक करने और उन्हें खत्म करने में सक्षम हैं। इसके अलावा यह प्लेटफॉर्म क्वाड देशों के साथ इंटरऑपरेबिलिटी भी साबित कर चुका है।
रणनीतिक महत्व
चीनी और पाकिस्तानी पनडुब्बी गतिविधियों के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में डोमेन अवेयरनेस और डिटरेंस बनाए रखने के लिए P-8I को भारत की सबसे निर्णायक संपत्ति माना जाता है।