चुनावी चटकारे : टिकट की माया विकट……
डेढ़ दशक से विधायक बनने की हसरत पाले बैठे कांग्रेस के केदार कंषाना को नवरात्र का आगमन सुखद नहीं रहा। कांग्रेस की पहली सूची जारी होते ही उनका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने आनन-फानन में अपने समर्थकों को बुलाया और मीडिया के सामने कांग्रेस को अलविदा कहकर कर दिया टाटा-बाय..बाय।
आपको बता दें, कि यह वही केदार हैं जिन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आशीर्वाद से कांग्रेस में अपनी राजनीति की इबारत को लिखना शुरू किया था। कट्टर सिंधिया समर्थक कहे जाने वाले केदार गिरगिट की तरह रंग बदल गए जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ था। उस दौरान हजारों कांग्रेसी कांग्रेस का हाथ छोड़कर सिंधिया के साथ भाजपा में आ गए थे। लेकिन विधायक बनने की चाह में केदार ने भाजपा की राह नहीं पकड़ी और सिंधिया का भी साथ छोड़ दिया। इस बार उन्होंने अपने विधान सभा क्षेत्र में जमकर पसीना बहाया और अपना प्रभाव जमाया। उन्हें उम्मीद थी अब की बार पार्टी उन्हें टिकट देकर बनाएगी उम्मीद्वार…तो विधायक बनने के अरमान पूरे हो जाएंगे। लेकिन रविवार की दोपहर आई पहली सूची में उनका नाम न होने पर उनके अरमानों पर पानी फिर गया। पार्टी ने टिकट देकर दूसरे को “साहब“ बना दिया। अब लोग कह रहे हैं जिसने राजनीति में चमकाया तुम उसके नहीं हुए तो फिर वफा की उम्मीद कैसे? यानी कांग्रेस ने नहीं की केदार के संग वफा…. खफा हुए केदार ने कहा कि – हम दरिया हैं हमें अपना हुनर आता है, मतलब स्पष्ट है कि अब थामेंगे दूसरी पार्टी का दामन और चुनाव लड़ने की करेंगे हसरत पूरी। वे किस पार्टी को अपना बनाएंग यह अभी स्पष्ट नहीं है।
विजय पाण्डेय