— प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले में की कार्रवाई, छापेमारी के बाद दिल्ली आवास से हुई गिरफ्तारी
दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली शराब नीति मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को उनके आवास पर से गिरफ्तार किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के बाद यह कार्रवाई की गई है। ईडी ने करीब 10 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तारकी इस कार्रवाई को अंजाम दिया है।
ईडी ने इसी मामले में सांसद के कई अन्य करीबी लोगों के परिसरों की तलाशी ली गई थी। संजय सिंह पर हुई कार्रवाई की खबर सुनते ही आम आदमी पार्टी में हंगामा मच गया।
ईडी के आरोप पत्र के मुताबिक दिल्ली के व्यवसायी दिनेश अरोड़ा, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी के रूप में नामित किया गया था। पहले संजय सिंह की उपस्थिति में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी।
एक बयान में अरोड़ा ने ईडी को बताया कि उनकी मुलाकात एक कार्यक्रम के दौरान संजय सिंह से हुई थी। जिसके बाद वह दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के भी संपर्क में आए थे, यह कार्यक्रम दिल्ली चुनाव से पहले धन जुटाने के लिए आयोजित किया गया। ईडी ने सिंह के करीबी सहयोगियों के परिसरों की तलाशी ली। दो सहयोगियों अजीत त्यागी और सर्वेश मिश्रा के घरों पर छापेमारी की।
संजय सिंह के आवास समेत अन्य जगहों पर जांच एजेंसी की छापेमारी के बाद उनकी गिरफ्तारी को लेकर आप नेता से लेकर कार्यकर्ता विरोध करते रहे। इसका असर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भी देखने को मिला। आप कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में प्रदर्शन किया है।इस दौरान उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कार्यकर्ताओं की पुलिसकर्मियों के साथ झड़प भी हुई।
केजरीवाल ने भाजपा पर कसा तंज
शराब नीति मामले में ईडी की कार्रवाई पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके घर पर कुछ भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि साल 2024 के चुनाव आ रहे हैं। वे जानते हैं कि वे हार जाएंगे। ये उनके हताश प्रयास हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे। ईडी, सीबीआई जैसी सभी एजेंसियां एक्टिंग हो जाएंगी।
जानिए क्या है शराब नीति?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई पॉलिसी लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल 1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई। लाइसेंस फीस में भारी इजाफा करके बड़े कारोबारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा।
शराब ब्रिकी के लिए ठेकेदारों को लाइसेंस लेना पड़ता है। इसके लिए सरकार ने लाइसेंस शुल्क तय किया है। सरकार ने कई तरह की कैटेगिरी बनाई है। इसके तहत शराब, बीयर और विदेशी शराब आदि को बेचने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। अब उदाहरण के लिए पहले जिस लाइसेंस के लिए ठेकेदार को 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता थाए नई शराब नीति लागू होने के बाद उसी के लिए पांच करोड़ रुपये देने पड़े।
आरोप है कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया।
छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला। विपक्ष का आरोप ये भी है कि इसके एवज में आप के नेताओं और अफसरों को शराब माफियाओं ने मोटी रकम घूस के तौर पर दी।
ईडी की चार्जशीट में किन किन के नाम-
पहली चार्जशीट में सबसे पहले मनीष सिसोदिया का नाम आरोपी के तौर पर सामने आया था। बाद में दूसरे प्रपत्र मे राघव मगुंटा, राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा के अलावा उनसे जुड़ी पांच कंपनियों को आरोपी बनाया गया है।
ईडी ने अभी तक इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया एवं व्यवसायी अमनदीप सिंह ढाल के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया था। दूसरी चार्जशीट में ईडी ने 12 आरोपी बनाए थे। ईडी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में दिल्ली शराब आबकारी नीति मामले में दूसरी चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में 12 अभियुक्तों के नाम शामिल थे। विजय नायर, शरथ रेड्डी, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमित अरोड़ा और 7 कंपनियों के नाम थे। इनमें कुछ नामों को लेक अभी भी जांच जारी है।