ओंकारेश्वर में स्थापित की गई 108 फीट ऊँची आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का संतों के सानिध्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया अनावरण
भोपाल। आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊँची प्रतिमा का गुरुवार को भव्य समारोह में अनावरण किया गया। देशभर के प्रतिष्ठित संत-महात्माओं की मौजूदगी में इसे आमजन के दर्शनों के लिए समर्पित किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खण्डवा जिले के ओंकारेश्वर में मांधाता पर्वत पर संत समुदाय के साथ आदि गुरु शंकराचार्य की अष्टधातु से निर्मित 108 फीट ऊँची एकात्मता की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने मांगलिक अनुष्ठान के साथ दो हजार 200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले अद्वैत-लोक का शिलान्यास किया ।
इस मौके पर संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री व जिले की प्रभारी उषा ठाकुर, स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज, परमात्मानंद महाराज, स्वामी स्वरूपानंद महाराज, स्वामी तीर्थानंद महाराज सहित देश भर से आए लगभग 5 हजार साधु संत मौजूद थे। केरल की पारंपरिक पद्धति से संतजनों और अतिथियों का स्वागत किया गया। वैदिक यज्ञ में आहुति के बाद मुख्यमंत्री ने यज्ञाचार्य, पंडितों और वेदचार्यों का अभिवादन किया। इसके बाद मुख्यमंत्री चौहान ने प्रतिमा के समक्ष साष्टांग प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य की एकात्मता की प्रतिमा विश्व को शांति और एकता का संदेश देगी। मुख्यमंत्री चौहान ने पत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ, पूज्य साधु संत, संन्यासियों तथा विद्वानों को भोजन प्रसादी स्वयं परोसी। पूज्य साधु संतों ने मुख्यमंत्री चौहान को शॉल ओढ़ाकर एवं मिष्ठान खिलाकर आशीष दिया। प्रतिमा पर एक नजर — एकात्मधाम में स्थापित आचार्य शंकर की प्रतिमा का नाम एकात्मता की मूर्ति स्टैच्यू ऑफ वननेस है। — 108 फीट की अष्टधातु मूर्ति आचार्य शंकर के बाल रूप 12 वर्ष की आयु की है। — मूर्ति के आधार में 75 फीट का पैडेस्टल है। — यह मूर्ति पाषाण निर्मित 16 फीट के कमल पर स्थापित है। — मूर्तिकार श्रीभगवान रामपुरे एवं चित्रकार वासुदेव कामत के मार्गदर्शन में मूर्ति का निर्माण किया गया है। — प्रतिमा में 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक, 8 प्रतिशत टिन का उपयोग किया गया है। प्रतिमा 100 टन वजनी है। — कुल 290 पैनल से यह मूर्ति निर्मित की गई है। — समग्र अधोसंरचना के निर्माण में उच्च गुणवत्ता के 250 टन के स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है। — कंक्रीट के पैडस्टल की डिजाइन 500 वर्ष तक की समयावधि को ध्यान में रखकर की गई है। — प्रतिमा की स्थापना के बाद यह क्षेत्र धर्म- अध्यात्म और पर्यटन के रूप में तेजी से उभर कर सामने आएगा।