48 दिवसीय भक्तामर विधान में विनय सागर महाराज के सानिध्य में चल रही प्रभु भक्ति आराधना,जैन समाज के लोग संगीतमय भजनों पर झूमकर कर रहे हैं भक्ति
भिंड। मनुष्य की यह विशेषता है कि वह यदि वह ढंग से चले तो संसार की सर्वश्रेष्ठ कृति बन जाता है और यदि वह गलत तरीके से चले तो विकृति बनने में देर नहीं लगती। महत्वपूर्ण जन्म नहीं जीवन शैली है। हम किस तरीके से जी रहे हैं महत्व इसका है। आज प्रत्येक व्यक्ति अच्छा दिखना चाहता है, लेकिन अच्छा करना नहीं चाहता।

श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में महावीर कीर्ति स्तभ में आयोजित 48 दिवसीय श्री भक्तामर महामंडल विधान में यह बात कही।
मुनिश्री ने कहा कि हमारे पास शक्ति है विचार के बोलने की। सही सोचें, सही देखें, सही बोलें, सही करें, इन चार बातों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 24 घंटे हमारे पास 60 हजार विचार आते हैं, उनमें से कुछ विचारों का तो कोई महत्व ही नहीं है, वह कोई काम के नहीं होते हैं और उन फिजूल विचारों से अपनी एनर्जी को नष्ट करते हैं।

उन्होंने कहा कि मैं अक्सर कहता हूं कि फोटू तो सभी की बहुत अच्छी हैं, लेकिन एक्सरे- के बुरे हाल हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे दिखो नहीं, अच्छा बनो। जिसकी सोच अच्छी होती है वही आसमान छूते हैं। घटिया सोच वालों से धरती कांपती हैं। जब तक आपकी सोच नहीं बदलेगी तब तक आपका जीवन नहीं बदल सकता।
भगवान जिनेंद्र का किया अभिषेक
मुनिश्री के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि श्रमण महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शनां में केशरिया वस्त्रों में इंद्रो ने मंत्रो के साथ कलशों से भगवान आदिनाथ को जयकारो के साथ अभिषेक किया। भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इंद्रा पंकज जैन नीरज जैन धीरज जैन परिवार ने की शांतिधारा। आचार्यश्री विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन पंकज जैन नीरज जैन धीरज जैन परिवार द्वारा किया।