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प्रकृति प्रेम का प्रतीक है हरियाली अमावस्या

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सोमवती और हरियाली अमावस्या पर इस बार बन रहे हैं विशेष शुभ योग, विधि-विधान से पूजा अर्चना करने और पौधे रौपने से मिलेगी विभिन्न कष्टों से मुक्ति, घर में आएगी सुख-शांति, तो फिर जानिए अमावस्या का महत्व और शुभ मुहूर्त

17 जुलाई सोमवार को हरियाली अमावस्या है। इस दिन पितरों की शांति, श्राद्ध कर्म, पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस महीने में बारिश का मौसम होने के कारण हर तरफ हरियाली छा जाती है इसलिए इसे हरियाली अमावस्या कहते हैं। तीज से तीन दिन पहले यह त्योहार मनाए जाने का विधान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पितरों के निमित्त दान, श्राद्ध, तर्पण और दान-धर्म के कामों को करना बहुत उत्तम माना जाता है। हरियाली अमावस्या पर पौधे लगाने की परंपरा है। इस बार हरियाली अमावस्या पर एक शुभ योग भी बन रहा है। जो सुखद और समृद्धि का कारक होगा।
किसान पूजते हैं कृषि उपकरण
शास्त्रों के अनुसार किसान इस दिन खेती में उपयोग होने वाले उपकरण हल व अन्य का पूजन करते हैं। और भगवान से अच्छी फसल की कामना करते हैं। यह दिन पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन ग्रह दोषों को दूर करने के लिए कुछ विशेष वृक्षों की पूजा की जाती है।
जातक को दोषों से मिलती है मुक्ति
पंडित सुनील दत्त शुक्ला (खेरला) के मुताबिक हरियाली अमावस्या के दिन दान पुण्य करने से पितृ दोष, काल सर्प दोष और शनि दोष से जातक को मुक्ति मिलती है। इस मौके पर घर या मंदिर पर पौधे का रोपण करना शुभ माना जाता है।
अमावस्या का खास मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य अमित उपाध्याय के मुताबिक इस बार हरियाली अमावस्या 16 जुलाई रविवार को रात 10 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और 18 जुलाई 2023 को प्रातः12 बजकर 01 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में हरियाली और सोमवती अमावस्या का संगम सुखद रहेगा। इस दिन स्नान, दान शुभ मुहूर्त के अनुसार कार्य किया जाए तो उसका फल पुण्यकारी होगा।
स्नान-दान : सुबह 4.12 बजे से 4.53 बजे तक
अमृत काल : सुबह 5.34 बजे से 07.17 तक
शुभ काल : सुबह 9.0 बजे से 10.44 तक
शाम का मुहूर्त : शाम 5.27 बजे से रात 07.20 तक
शुभ योग का संयोग
हरियाली अमावस्या पर सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र होने से सिद्धि और उसके बाद पुष्य नक्षत्र होने से दो शुभ योग बनेंगे।
हरियाली अमावस्या महत्व
पंडितों के मुताबिक हिंदू धर्म में अमावस्या को त्योहार की तरह मनाया जाता है। खासकर सोमवार और शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या बहुत खास मानी जाती है। सावन में हरियाली अमावस्या पर शिव-पार्वती की पूजा करने के साथ ही तुलसी, आम, बरगद, नीम आदि के पौधे लगाए जाते हैं। खासतौर पर पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा करने से ईश्वर की विशेष कृपा होती है क्योंकि इन पौधों और वृक्षों में देवताओं का वास होता है।
इस दिन पौधे लगाने से देव और पितृ दोनों प्रसन्न होते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन देव पूजा के साथ पौधे लगाने से आरोग्य, संतान और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यह अमावस्या इंसान को प्रकृति के करीब लाने का मौका देती है और पेड़-पौधों से प्रेम करना भी सिखाती है। इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि बेहतर जीवन और प्रकृति के संरक्षण के लिए कम से कम एक पौध अवश्य रौपे।

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