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चंद्रयान की ऊंची उड़ान भारत की बढ़ेगी शान

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भारतीय वैज्ञानिकों ने रचा नया इतिहास, श्रीहरिकोटा से चंद्रयान रॉकेट के जरिए किया गया लॉंन्च
एजेंसी। चंद्रयान के सफल लॉंन्चिंग के बाद भारत ने आज एक और नई कामयाबी हासिल कर ली। भारतीय वैज्ञानिकों ने दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 को रॉकेट के जरिए लॉन्च कर दिया। लॉन्च के समय इसकी शुरुआती रफ्तार 1,627 किमी प्रति घंटा थी। लॉन्च के 108 सेकंड बाद 45 किमी की ऊंचाई पर इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट हुआ और रॉकेट की रफ्तार 6,437 किमी प्रति घंटा हो गई। आसमान में 62 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो गए और रॉकेट की रफ्तार सात हजार किमी प्रति घंटा पहुंच गई। धरती से चांद की दूरी करीब 3लाख 84 हजार किलोमीटर है। चंद्रयान 3 इस दूरी को 40 से 50 दिनों में तय करेगा।


मतलब अगर सबकुछ सही रहा तो 50 दिनों में चंद्रयान 3 का लैंडर चांद की सतह पर होगा। इसरो की योजना के मुताबिक इसे 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। हालांकि अनुमानित चंद्रयान 3 की लैंडिंग 23-24 अगस्त को रखी गई है लेकिन वहां सूर्योदय की स्थिति को देखते हुए इसमें बदलाव हो सकता है। अगर सूर्योदय में देरी होती है तो इसरो लैंडिंग का समय बढ़ाकर इसे सितंबर में कर सकता है। भारत ही नही पूरी दुनिया की नजर इस मिशन पर टिकी है। क्योकि चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत इसका रोबोटिक उपकरण 24 अगस्त तक चांद के उस हिस्से शेकलटन क्रेटर पर उतर सकता है जहां अभी तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है।
चंद्रयान 3 को एलवीएम 3 रॉकेट से लॉन्च किया गया। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान 3 मिशन की थीम यानी चंद्रमा का विज्ञान है।
चंद्रयान-2 से है यह अलग
चंद्रयान 2 के मुकाबले इस बार चंद्रयान 3 का लैंडर ज्यादा मजबूत पहियों के साथ 40 गुना बड़ी जगह पर लैंड होगा। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है।
चंद्रयान 2 में जहां ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं चंद्रयान 3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर होंगे। चंद्रयान 3 का लैंडररोवर चंद्रयान 2 के लैंडररोवर से करीब 250 किलो ज्यादा वजनी है। चंद्रयान 2 की मिशन लाइफ सात साल अनुमानित थी वहीं चंद्रयान 3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को तीन से छह महीने काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रयान 2 के मुकाबले चंद्रयान 3 ज्यादा तेजी से चांद की तरफ बढ़ेगा। चंद्रयान 3 के लैंडर में चार थ्रस्टर्स लगाए गए है।
लैंडर और रेवर के नाम चंद्रयान
चंद्रयान 3 के लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान ही रहेगा। रोवर के भीतर ही लैंडर मौजूद है। 615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान 3 मिशन का लक्ष्य भी चंद्रयान 2 की तरह ही है। इसके जरिए चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना है। खासतौर पर चांद के सबसे ठंडे इलाके की जानकारी जुटाना। चंद्रयान.3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जा रहे हैं। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्लाज्मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे। इससे चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना का भी अध्ययन किया जाएगा।

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