रूबरू-देश हित के लिए संतों की शरण में जाना जरूरीः जय किशोरी
ग्वालियर। महिलाएं समाज में पूज्यनीय होती हैं। युवा समाज व राष्ट्र को दिशा देने वाला। ऐसे में महिलाओं व युवतियों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया पर मर्यादित रहें और अच्छी रील बनाएं। इंटरनेट पर सब कुछ है। ऐसे में उन्हें चाहिए कि जो अच्छा है उसे ग्रहण करें और जो बुरा है उसे नजर अंदाज कर देना चाहिए। बाहरी दुनिया को देखने या बदलाव लाने के बजाय खुद में परिवर्तन लाना जरूरी है। युवाओं को चाहिए कि वे नशे से दूर रहें। हम भी नशा मुक्ति के लिए अभियान चलाते हैं और युवाओं को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराकर उन्हें जागरूक करते हैं।
देश की प्रमुख महिला कथा वाचक एवं मोटिवेटर जया किशोरी ने होटल सेंट्रल पार्क में मीडिया से रूबरू होते हुए यह बात कही।
साध्वी न संत, मैं हूं सामान्य लड़की
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं न तो साध्वी हॅूं, न ही संत और न ही महामंडलेश्वर हॅूं। मैं एक सामान्य लड़की हूॅं। भगवान की भक्त हॅूं, कथाकार हॅूं और कथा करती हॅूं। मैं जब कथा करती हॅूं तब किसी को छोटे-बड़े का अहसास नहीं होने देती हूॅ। जैसे आपके बच्चे हैं वैसे ही मैं हॅूं। मैं सिर्फ भगवान से प्रेम करती हॅूं, उनके ग्रंथों को पढ़ती हॅूं और लोगों को कथा के माध्यम से उसकी प्रेरणा देती हॅू। यदि मेरी कथा को सुनकर 10 फीसदी लोगों के जीवन में बदलाव आए तो कथा की सार्थकता सिद्ध होगी। यह बात सच है कि धर्म गुरुओं के माध्यम से जहां भी कथा की जाती है या कथा वाचक ज्ञान देते हैं उससे अनेक लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। मैं प्रभु के प्रति समर्पित भाव से अपना कर्म कर रही हूॅं। मुझे नहीं लगता कि मुझे साध्वी या महामंडलेश्वर की पदवी दी जाए, क्योंकि मैं उस लायक नहीं हॅूं। मैं सिर्फ और सिर्फ जया किशोरी ही बनी रहना चाहती हॅूं। यदि कोई मानें तो मुझे एक मोटिवेटर के रूप में देख सकते हैं।

-जो देश हित में कार्य करे वह श्रेष्ठ
मौजूदा परिवेश में संतों की शरण में सभी को जाना जरूरी है। संत जीवन की दशा और दिशा बदल देते हैं। यदि आप देश को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं तों नेता हो, बिजनेस मैन हो या फिर संत। उसमें बुराई ही क्या है? यदि आपका नजरिया नकारात्मक है कुछ खराब करने का इरादा है तो वह गलत है। व्यक्ति चाहे कोई भी हो यदि वह देश हित में काम कर रहा है और उसे आगे बढ़ा रहा है तो वह श्रेष्ठ है।
– ग्रंथों को जीवन का अंग बनाएं
दुनिया में बहुत कुछ है देखने और सुनने के लिए। आप जो कुछ भी देख रहे हैं वह देखिए। लेकिन जीवन में यदि कुछ हासिल करना चाहते हो तो अपने गं्रथों से ज्ञान प्राप्त कीजिए। ग्रंथों को जीवन का अंग बनाइए। छोटा हो या बड़ा सभी जानते हैं कि क्या गलत है और क्या सही। जीवन को मूल्यवान और चरित्रवान बनाना है तो आवश्यक है कि अपने बच्चों को गीता पढ़ाएं, ग्रंथों के बारे में बताएं। उसके बाद वह स्वयं निर्णय करने लगेगा कि हमें कौनसी चीज को देखना और किसे नहीं। ऐसे में जरूरी हो जता है बच्चों में माता-पिता से बचपन से ग्रंथों को अध्ययन कराएं।
– जीत चाहते हो तो करो श्रीकृष्ण सी राजनीति
जीवन में सफलता या जीत चाहते तो फिर आपको श्रीकृष्ण के मार्ग पर चलना होगा। धर्म के साथ ही राजधर्म की प्रेरणा लेकर यदि राजनीति करोगे तो बेहतर होगा। राजनीति कोई बुरी बात नहीं है और न ही वह गलत है। सबकुछ निर्भर करता है आपकी सोच पर। आप प्रभु श्रीकृष्ण की तरह राजनीति करोगे तो निश्चित तौर पर जीत हासिल होगी। और कहीं दुर्योधन की तरह राजनीति करोगे तो फिर जीवन में हार का सामना ही करना पड़ेगा। इसलिए सदैव समाज व राष्ट्रहित में सकारात्मक सोच के साथ काम करे जीत आपकी ही होगी।
— तीन दिन सुनाएंगी कथा
युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मितेंद्र सिंह द्वारा अपने पूज्य पिताजी डॉ. दर्शन सिंह की स्मृति में बिरला नगर श्याम खाटू मंदिर के पास तीन दिवसीय कथा का आयोजन कर रहे हैं। कथा वाचक जया किशोरी वहां शाम चार बजे से नानी बाई रो मायरो श्रीकृष्ण कथा सुनाएंगी।