ग्वालियर की उच्च शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जीवाजी यूनिवर्सिटी से संबद्ध निजी कॉलेजों में हो रहे फर्जीवाड़े ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। करोड़ों रुपए की कथित उगाही के कारण न कार्रवाई होती है, न सुधार। हालत यह है कि 349 निजी कॉलेजों में से सिर्फ 22 में प्राचार्य पदस्थ हैं, जबकि डेढ़ लाख छात्रों के लिए मात्र 39 शिक्षक उपलब्ध हैं।
जांच में लापरवाही जारी
हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश देकर इन कॉलेजों की जांच करने को कहा था, लेकिन यूनिवर्सिटी के अफसर टालमटोल में जुटे हैं। कॉलेजों को संरक्षण मिल रहा है और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। इससे छात्रों की पढ़ाई और भविष्य दोनों दांव पर लगे हैं।
निजी कॉलेजों से लाखों की वसूली का आरोप
सूत्रों का दावा है कि जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुछ अधिकारी निजी कॉलेजों से प्रतिमाह लाखों की वसूली कर रहे हैं। यही वजह है कि नियमों का उल्लंघन होते हुए भी कॉलेजों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। फर्जी स्टाफ, बिना इंफ्रास्ट्रक्चर के कॉलेज और नाम के लिए चल रहे विभाग इस बड़े घोटाले का हिस्सा बने हुए हैं।
छात्रों का भविष्य अनिश्चित
अध्यापक न होने से पढ़ाई ठप है, प्रैक्टिकल और क्लासेज सिर्फ कागजों में हो रही हैं। वर्षों से छात्र अधर में हैं और डिग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं।