जीवाजी विश्वविद्यालय में जी-20 समिट 2023 पर संगोष्ठी आयोजित
ग्वालियर। विश्व की अर्थव्यवस्था धीमी होगी तो हमारी भी अर्थव्यवस्था की गति धीमी होगी। इसलिए हम ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करना चाहते हैं जब भी भविष्य में वैश्विक चुनौतियां आएं तो स्वतः ही उसका रास्ता तैयार किया जा सके। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि ग्लोबल चुनौतियों से निपटने के लिए हमें मजबूत अर्थव्यवस्था को बनाना होगा। भारत सरकार के पूर्व वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने यह बात कही।
उन्होंने यह बात जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में आयोजित जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट अगेजिंग ए यंग माइंड संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि के कही।

प्रो.कन्हैया आहूजा व डॉ. अमित कुमार विशिष्ट अतिथि थे। अध्यक्षता कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी ने की। जबकि प्रो.एसके शुक्ला मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद थे।
मुख्य अतिथि खरे ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़त पांच साल पहले से धीमी पड़ गई है। जैसे चायना की गति धीमी हुई वैसे ही पूरे विश्व में धीमी गति पड़ गई। हर प्रोडक्ट की फाइल असेम्बलिंग चायना में हो रही है। इसलिए गति धीमी हुई। 2001 से 2016 तक दुनिया की गति एक देश चला रहा था वह था चायना। ऐसे माहौल में जी-20 हमारे सामने आया है। भारत की प्राचीन चिकित्सा के आधार पर हम दुनिया को आगे बढ़ा सकते हैं। हमें चिकित्सा, शिक्षा पर जोर देना है। इसमें युवाओं की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
अध्यक्षता कर रहे कुलपति तिवारी ने कहा कि कार्बन रिडक्शन कम होना चाहिए। भारत काफी आगे निकल चुका है कोरोना काल में भारत ने सबसे पहले वैक्सीन बनाई और अपने पड़ोसी देशों को भी दी।कृषि के क्षेत्र में भारत काफी आगे है। पर्यटन पर जोर दिया गया है।

मुख्य वक्ता शुक्ला ने कहा कि शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। ग्लोबल समस्याओं से सामना करना है। पर्यटन पर जोर देना है।
इस दौरान चर्चा सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों के अतिथियों द्वारा जवाब दिए गए।
इससे पूर्व अतिथियों एवं कुलसचिव डॉ. आरके बघेल ने द्वीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। प्रो.डीएन गोस्वामी ने स्वागत भाषण दिया। संचालन प्रो.एसके ि़द्ववेदी ने किया।ं अतिथियों को शॉल,श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। जी-20 से संबंधित प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। संगोष्ठी के लिए भारत में 76 विश्वविद्यालयों को चुना गया, जिसमें जेयू भी प्रमुख रूप से शामिल है।
इस मौके पर कुलसचिव डॉ.आरके बघेल, प्रो.जेएन गौतम, प्रा.े एसके सिंह, प्रो. आईके पात्रो, प्रो.जीबीकेएस प्रसाद, प्रो.हेमंत शर्मा, प्रो.केएस ठाकुर, डॉ.केशव सिंह गुर्जर, डॉ.हरेंद्र शर्मा, डॉ.एसके सिंह, डॉ.सतेंद्र सिंह सिकरवार, डॉ.पीके जैन,डॉ. विमलेन्द्र सिंह राठौर, विश्वरंजन गुप्ता एवं अरविन्द भदौरिया सहित अनेक विद्यार्थी मौजूद थे।