दुकानदार या ऑटोवाला जब लेने से करे इंकार तो फिर आपके पास है कानूनी हथियार, जानिए क्या है नियम?
विजय पाण्डेय
बैंक अफसर हैरान हैं और लोग परेशान हैं। क्योंकि कई लोगों ने अपनी मर्जी से भारतीय मुद्रा के लेन-देन को प्रतिबंधित कर दिया है। या फिर सिक्के को ही नकली करार दे दिया है। यदि आपने कभी किसी दुकानदार या ऑटोवाले को 10 का सिक्का दिया होगा और उसने लेने से इंकार कर दिया होगा, ऐसा आपके साथ भी कभी न कभी तो हुआ होगा। जब आपने उससे सिक्का न लेने का कारण पूछा होगा तो निश्चित तौर पर यह जवाब मिला होगा कि सरकार ने इसका चलन बंद कर दिया है, या फिर आपने जो सिक्का दिया है, वह कभी जारी ही नहीं किया गया है। यानी वह नकली है।

यह स्थिति बहुत बार आपको परेशानी में डाल सकती है। ऐसे में मन में सवाल उठता है कि क्या सच में ऐसा कुछ हुआ है? और नहीं तो इस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए? साथ ही क्या- इसको लेकर भारत सरकार ने कोई नियम बनाए हैं? चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
कौन जारी करता है सिक्के?
आपको बता दें कि देश में नोटों को प्रिंट करने का काम भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) करता है। भारतीय रिजर्व बैंक भारत का सर्वोच्च मौद्रिक प्राधिकरण है। यह 2 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक के नोटों को प्रिंट करने के लिए अधिकृत है। जबकि एक रुपये का नोट आरबीआई के बजाय वित्त मंत्रालय द्वारा मुद्रित किया जाता है और उस पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं। सिक्के भी वित्त मंत्रालय के द्वारा बनवाए जाते हैं। भारत में 10 रुपये के सिक्के के अलावा, 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये और 20 रुपये के सिक्के चलन में हैं। ये सभी सिक्के भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए जाते हैं। आरबीआई सिर्फ इनका वितरण करता है। सिक्के एक से ज्यादा डिजाइन के साथ बाजार में आ सकते हैं। ऐसे में सभी तरह के सिक्के मान्य हैं और कोई इसे नकली कहकर लेने से मना नहीं कर सकता है।

सिर्फ इन सिक्के को किया प्रतिबंधित
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने 30 जून 2011 से बहुत ही कम वैल्यू के सिक्के जैसे एक पैसे, दो पैसे, तीन पैसे, पॉंच पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे और 25 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन से वापस लिए गए हैं। इस कारण इनका प्रचलन बंद कर दिया गया है। इसलिए ये वैध मुद्रा नहीं हैं और कोई भी दुकानदार और बैंक वाला इन्हें लेने से मना कर सकता है। 50 पैसे के सिक्के जारी नहीं किए जाते लेकिन ये प्रचलन में अभी भी मौजूद हैं। ध्यान रहे कि 50 पैसा अभी भारत में वैध सिक्का है और दुकानदार या अन्य व्यक्ति उसको लेने से मना नहीं कर सकते हैं। सिक्का अधिनियम, 2011 जम्मू-कश्मीर सहित पूरे भारत में लागू है।
सिक्का लेने से मना करने पर क्या करें?
अगर कोई व्यक्ति या दुकानदार 10 रुपये के सिक्के के अलावा एक, दो या पॉंच रुपए के सिक्के को लेने से इनकार करता है तो इसे भारतीय मुद्रा का अपमान माना जाएगा। ऐसी स्थिति में शिकायत दर्ज की जा सकती है। वैध सिक्के को न लेने पर आप तुरंत संबंधित का वीडियो बनायें और पास के थाने में शिकायत दर्ज कराएँ। पुलिस को उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करनी ही पड़ेगी।

उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आईपीसी की धाराओं के तहत धारा 124 (क) में मामला दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आदेश का उल्लंघन करने पर धारा 188 की कार्रवाई का भी प्रावधान है। इसके अलावा दुकानदार को सख्त कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। नेशनल क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एनसीआईबी) के मुताबिक, भारतीय मुद्रा अधिनियम और आईपीसी की धारा 489(ए) से 489 (ई) के तहत इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। साथ ही, तत्काल सहायता के लिए पुलिस को भी कॉल किया जा सकता है।
अफवाह फ़ैलाने की सजा
जो दुकानदार या अन्य लोग सही सिक्के को भी नकली बताकर अफवाह फैलाते हैं उनके लिए भी सजा का प्रावधान है। अफवाह फैलाने वालों पर आरबीआई के नियम के अलावा आईपीसी की धारा 505 के तहत भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा सकती है। इसमें अधिकतम तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जबकि सिक्के को गलाना भी अपराध है, जिसमें सात साल की सजा हो सकती है।

लेने से नहीं कर सकते इनकार
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए सभी सिक्के प्रचलन के लिए मान्य हैं। इनको लेने से कोई इनकार नहीं कर सकता है। यदि कोई ऐसा करता है तो वह भारतीय मुद्रा का अपमान होगा ओर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
कृष्ण कुमार ठाकुर, मैनेजर एसबीआई