अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 नवंबर को नाइजीरिया को चेतावनी दी — अगर देश ईसाइयों पर होने वाले हमलों को नहीं रोकेगा तो अमेरिका मदद बंद कर देगा और सैन्य विकल्पों के लिए पेंटागन को तैयारी करने का आदेश दे सकता है। यह बयान internationale स्तर पर भारत और अफ्रीका दोनों में बहस छेड़ रहा है।
क्या ट्रम्प ने वास्तव में क्या कहा?
ट्रम्प ने अपने Truth Social पोस्ट में लिखा कि अगर नाइजीरियाई सरकार “ईसाइयों की हत्या” रोकने में विफल रहती है तो अमेरिका तुरंत नाइजीरिया को दी जाने वाली सारी सहायता रोक देगा और “गन्स-ए-ब्लेज़िंग” तरीके से उन इस्लामी आतंकवादियों को नष्ट करने के लिए सैन्य कार्रवाई पर विचार कर सकता है। उन्होंने पेंटागन को संभावित कार्रवाई की योजना बनाने का निर्देश देने की बात भी कही।
वास्तविक हालात क्या हैं — क्या यह नरसंहार है?
विशेषज्ञों का कहना है कि नाइजीरिया लंबे समय से अनेक प्रकार के हिंसक संघर्षों का सामना कर रहा है — नॉर्थ-ईस्ट में जैहादियों (जैसे बाको हराम), किसान-चरवाहा टकराव, और स्थानीय गैंगविरोध जैसी घटनाएँ शामिल हैं। कई मामलों में पीड़ितों में ईसाई और मुस्लिम दोनों शामिल रहे हैं; यानी हिंसा को सिर्फ धार्मिक रंग में सीमित करना अक्सर वास्तविकता का सरलिकरण होगा। कुछ विश्लेषक और मीडिया रिपोर्ट कहते हैं कि “हजारों ईसाइयों का सामूहिक नरसंहार” जैसा अल्पसाक्ष्य दावा के करीब है।
किस तरह के हिंसा-रुझान देखने को मिलते हैं?
आतंकवादी हमले: बाको हराम और उससे अलग Jama’atu Nasril Islam जैसे गुटों के द्वारा नीले-पीले सामूहिक हमले और अपहरण। भू-संसाधन और जातीय संघर्ष: मध्य नाइजीरिया के कई जिले किसान-चरवाहा झड़पों का केंद्र रहे हैं, जिनमें बदले की राजनीति और जमीन-व्यवहार से जुड़ी हिंसा भी शामिल है। स्थानीय सशस्त्र समूह: स्थानीy समूह और गैंग अक्सर सुरक्षा-शून्य का फायदा उठाते हैं इन भिन्न कारणों के मिश्रण से हिंसा का चेहरा अलग-अलग इलाकों में अलग दिखता है; इसलिए एक ही शब्द-समूह (जैसे “नरसंहार”) हर जगह लागू नहीं बैठता।
नाइजीरियाई सरकार और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
नाइजीरियाई राष्ट्रपति और अधिकारियों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि संवैधानिक रूप से धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षित है और सरकार सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया और विश्लेषकों ने ट्रम्प के बयान को गंभीर परिणामों की चेतावनी के रूप में देखा है — कुछ ने कहा कि इससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है और कुछ ने कहा कि दावे साबित हुए बिना इतनी तेज भाषा जोखिमभरी है।
क्या अमेरिका वास्तव में सैन्य कार्रवाई कर सकता है?
राष्ट्रपति का बयान पेंटागन को “तैयार रहने” का निर्देश देने जैसा है — पर यह कदम वास्तविक सैन्य कार्रवाइयों की गारंटी नहीं देता। सैन्य हस्तक्षेप के लिए कानूनी, कूटनीतिक और कांग्रेस-स्तरीय सहमति अक्सर आवश्यक होती है; इसके अलावा क्षेत्रीय और वैश्विक निहितार्थों का भी आकलन किया जाता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि बिना ठोस सबूत और बहुपक्षीय समर्थन के केवल एक-तरफा धमकी क्षेत्रीय अशांति बढ़ा सकती है।