पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) ने अब अपनी साजिश का दायरा बढ़ाते हुए महिलाओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इस आतंकी संगठन ने महिलाओं के लिए एक ऑनलाइन जिहादी ट्रेनिंग कोर्स शुरू किया है, जिसका नाम रखा गया है ‘तुफ़त अल-मुमिनात’ ।
रिपोर्ट के अनुसार, इस कोर्स के ज़रिए संगठन का मकसद महिलाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ना, फंड जुटाना और नए सदस्यों की भर्ती करना है। इस कोर्स की फीस सिर्फ 500 पाकिस्तानी रुपए (लगभग ₹156 भारतीय रुपये) रखी गई है।
कैसे सामने आया खुलासा
इस महीने की शुरुआत में खुलासा हुआ था कि जैश-ए-मोहम्मद अपनी महिला ब्रिगेड ‘जमात-उल-मुमिनात’ तैयार कर रहा है। अब रिपोर्ट के मुताबिक, संगठन ने इसके लिए बाकायदा ऑनलाइन कोर्स लॉन्च किया है, जिसकी शुरुआत 8 नवंबर से होनी है। इस कोर्स में हर दिन 40 मिनट का ऑनलाइन लेक्चर होगा, जिसमें महिलाओं को ‘जिहाद’ और इस्लाम के संदर्भ में उनके तथाकथित कर्तव्यों के बारे में सिखाया जाएगा।
कौन देंगी ट्रेनिंग — अजहर परिवार की महिलाएं
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, इस कोर्स का नेतृत्व जैश के संस्थापक मसूद अजहर की दो बहनें — सादिया अजहर और समैरा अजहर करेंगी।
- दोनों बहनें जैश की महिला शाखा को सक्रिय रूप से चला रही हैं।
- मसूद अजहर की छोटी बहन सादिया अजहर को जमात-उल-मुमिनात का पूरा प्रभार सौंपा गया है।
- सादिया का पति यूसुफ अजहर मई 2025 में बहावलपुर में भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन ‘सिन्दूर’ में मारा गया था।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पहलगाम हमले (अप्रैल 2025) के एक हमलावर उमर फारूक की पत्नी अफरीर फारूक को भी इस अभियान में शामिल किया गया है।
कैसे होगा ‘जिहादी कोर्स’
‘तुफ़त अल-मुमिनात’ कोर्स का पूरा संचालन ऑनलाइन माध्यम से होगा। एडमिशन लेने वाली हर महिला को एक ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा। साथ ही, 500 पाकिस्तानी रुपए फीस जमा करनी होगी। यह रकम संगठन की डोनेशन कैम्पेन का हिस्सा मानी जा रही है।
संगठन का दावा है कि कोर्स का उद्देश्य “महिलाओं को इस्लामी शिक्षाओं के तहत सशक्त बनाना” है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार यह कट्टरपंथी और जिहादी प्रशिक्षण का नया तरीका है।
मसूद अजहर का फंडिंग नेटवर्क फिर सक्रिय
रिपोर्ट के अनुसार, मसूद अजहर ने हाल ही में बहावलपुर स्थित मरकज़ उस्मान ओ अली में एक पब्लिक एड्रेस के बाद फंडिंग अभियान को तेज़ कर दिया है।
- जैश अब महिला सदस्यों से फीस के नाम पर फंड जुटा रहा है।
- यह पैसा संगठन के ऑपरेशनल नेटवर्क और ऑनलाइन प्रचार अभियानों में लगाया जा रहा है।
भारत पर बढ़ सकता है खतरा
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इस महिला जिहादी कोर्स के जरिए जैश नई ‘सोशल मीडिया जेनरेशन’ को टारगेट कर रहा है। ऑनलाइन प्रचार, धार्मिक व्याख्यान और ‘सॉफ्ट इंडोक्रिनेशन’ के जरिये यह नेटवर्क धीरे-धीरे स्लीपर सेल तैयार करने की दिशा में काम कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठन
जैश-ए-मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2001 में वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया था। भारत समेत कई देशों ने इस पर कठोर प्रतिबंध लगाए हैं। मसूद अजहर का नाम पुलवामा हमले (2019) और पार्लियामेंट अटैक (2001) जैसे कई आतंकी हमलों से जुड़ा रहा है। फिर भी, पाकिस्तान में जैश का नेटवर्क खुलेआम सक्रिय है, और वहां की सरकार इसे रोकने में नाकाम रही है।