बांग्लादेश में एक साल के अंदर राजनीतिक और सुरक्षा परिदृश्य तेजी से बदलने का दावा किया जा रहा है। अंतरिम सरकार के एक वरिष्ठ सलाहकार आसिफ महमूद शोजिब भुयान के सोशल मीडिया पोस्ट और कई स्रोतों में उठायी जा रही दवानों के मुताबिक़, सात प्रशिक्षण कैम्पों में कुल 8,850 लोगों को मिलिशिया-शैली के प्रशिक्षण के लिए भर्ती कर लिया गया है। इस समूह को — जिसे रिपोर्टों में ‘इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी आर्मी (IRA)’ कहा जा रहा है — बाद में देश की नियमित सैन्य ताकत की जगह लेने और क्षेत्रीय लक्ष्यों पर काम करने के लिये तैयार किया जाना बताया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
दावा: 7 प्रशिक्षण कैंपों में 8,850 व्यक्तियों की भर्ती और ट्रेनिंग।
प्रशिक्षण विषय: मार्शल आर्ट, हथियार प्रशिक्षण, ताइक्वोंडो, जूडो और सैन्य शैली की ट्रेनिंग।
अनुकरणीय संरचना: रिपोर्टों में IRA की संरचना ईरान के IRGC के मॉडल से तुलना की जा रही है।
कथित CTOPOH: जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को योजनाओं में शामिल बताया जा रहा है।
संभावित लक्ष्य: बड़े पैमाने पर कहा जा रहा है कि भारत इसका प्राथमिक निशाना होगा; सीमाओं पर तनाव की आशंका जतायी गयी है।
घटनाक्रम का क्रम और खुलासे
अंतरिम सलाहकार आसिफ महमूद शोजिब भुयान ने 20 अक्तूबर को सोशल मीडिया पर साझा की गयी जानकारी में कहा कि कई केंद्रों में 8,850 लोगों को भर्ती कर ट्रेनिंग दे रही एजेंसियाँ सक्रिय हैं। उनके दावे के अनुसार इन कैम्पों में प्रशिक्षुओं को मार्शल आर्ट, हथियारों की शिक्षा और सैन्य प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी जा रही है। वहीं कुछ स्रोतों का कहना है कि ये ट्रेनिंग रिटायर्ड सेना अधिकारियों द्वारा दी जा रही है जिनके पाकिस्तान समर्थक होने का आरोप लगाया जा रहा है।
अन्य रिपोर्टों और विश्लेषकों के कथन यह भी कह रहे हैं कि यह केवल शुरुआती चरण है और भविष्य में ऐसे अधिक कैम्प स्थापित कर कुल 160,000 से अधिक युवाओं को सैन्य-शैली के प्रशिक्षण के लिए तैयार करने का लक्ष्य है — जो कि बांग्लादेश की वर्तमान सेना के आकार के बराबर माना जा रहा है।
कौन-कौन से संगठन और तत्त्व जुड़े होने का आरोप?
लेख में उठाये गए प्रमुख आरोप ये हैं:
- जमात-ए-इस्लामी: संगठन के कुछ नेताओं और समर्थकों की भूमिका की बातें आ रही हैं; एक उल्लेखित बयान में जमात के नेता ने ‘50 लाख युवाओं’ का जिक्र किया और कहा कि उनमें से कई भारत के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं।
- पाकिस्तान / ISI: रिपोर्टों में ISI और पाकिस्तानी तत्त्वों पर धन, उपकरण और मार्गदर्शन उपलब्ध कराने का आरोप लगाया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि हथियारों और गोला-बारूद समुद्री मार्ग से बांग्लादेश पहुंच रहे हैं।
- यूनुस प्रशासन के करीबी छात्र-मोर्चे: “Anti-Discrimination Student Movement” जैसे संगठनों द्वारा यूनिवर्सिटीज़ में भर्ती और कैंप के लिए आह्वान की बातें रिपोर्ट में सामने आईं।
ट्रेनिंग का स्वरूप और संभावित रणनीति
रिपोर्ट के अनुसार शुरुआती चरण में प्रशिक्षण में मार्शल आर्ट और एक महीने का सैन्य-शैली का प्रशिक्षण शामिल है। इसके बाद गोरिल्ला-युद्ध, मोरल पुलिसिंग (सांस्कृतिक/धार्मिक नियम लागू कराने वाली तंत्र) और सीमा पार संचालित अभियान जैसी क्षमताओं पर काम किया जा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर ऐसे समूहों को संगठित कर सीमा पार भेजा गया तो क्षेत्रीय तनाव और अस्थिरता बढ़ने की सम्भावना बनी रहेगी।
राजनीतिक-सैन्य असर और आंतरिक दरारें
यूनुस सरकार और सेना के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं, और अदालतों के आदेशों के तहत कई सेना तथा सुरक्षा बलों के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही ने स्थिति और नाजुक बना दी है। कुछ स्रोतों का दावा है कि इन घटनाक्रमों ने सेना के भीतर गहरी दरारें पैदा कर दी हैं और वही तत्व IRA के पक्ष में सक्रिय हैं।
भारत के लिये निहित खतरा — क्या कहना चाहिए?
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि अगर ऐसी किसी मिलिशिया-रचना का लक्ष्य भारत है तो सीमा पर तनाव और सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं। हालांकि, यह ज़रूरी है कि इस तरह के दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की जाये — मीडिया और सुरक्षा संस्थाओं द्वारा सत्यापन के बिना ऐसे आरोपों को तथ्य की तरह पेश करना अनुचित हो सकता है। इसलिए पाठकों के लिए यह आवश्यक है कि वे आधिकारिक बयानों और स्वतंत्र रिपोर्टिंग पर भी नजर रखें।
उथल-पुथल और सत्ता परिवर्तन की घटनाएँ
पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश की राजनीति में तेज उथल-पुथल और सत्ता परिवर्तन की घटनाएँ दर्ज हुई हैं जिनके बाद सुरक्षा समीकरण भी बदलते दिखे हैं। दिसंबर 2024 से जुड़ी कुछ छात्र-आन्दोलन और यूनिवर्सिटी स्तर के आह्वानों ने चिंताएँ बढ़ाई थीं। क्षेत्रीय रणनीतिक प्रतिस्पर्धा (विशेषकर पाकिस्तान और भारत के बीच) का ऐतिहासिक संदर्भ भी इस पूरे मसले के विश्लेषण में देखा जाना चाहिए।