अफगानिस्तान-पाकिस्तान में शांति की उम्मीद: दोहा वार्ता में तत्काल युद्धविराम पर सहमति, कतर और तुर्की ने निभाई मध्यस्थ की भूमिका

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अफगानिस्तान-पाकिस्तान में शांति की उम्मीद: दोहा वार्ता में तत्काल युद्धविराम पर सहमति, कतर और तुर्की ने निभाई मध्यस्थ की भूमिका

लंबे समय से तनावपूर्ण रिश्तों से जूझ रहे अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच अब शांति की एक नई किरण दिखाई दी है। कतर की राजधानी दोहा में हुई उच्च स्तरीय शांति वार्ता के दौरान दोनों देशों ने तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई है। यह घोषणा कतर के विदेश मंत्रालय ने रविवार तड़के की। कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह समझौता कतर और तुर्की की मध्यस्थता में शनिवार को संपन्न हुई वार्ता के दौरान हुआ। इस बैठक में दोनों देशों के शीर्ष सुरक्षा और विदेश मामलों से जुड़े अधिकारी मौजूद थे।

एक हफ्ते की सीमा झड़पों के बाद शांति की पहल

पिछले एक हफ्ते से अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर भीषण झड़पें चल रही थीं। दोनों देशों के बीच कई बार गोलीबारी और विस्फोट की घटनाएं हुईं, जिनमें कई सैनिक और नागरिकों की मौत की भी खबरें आईं। ऐसे में यह युद्धविराम समझौता दक्षिण एशिया में तनाव कम करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

कतर सरकार ने बयान में कहा — “अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने युद्धविराम की अवधि बढ़ाने और उसकी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सहमति जताई है। दोनों पक्ष आने वाले दिनों में इसके विश्वसनीय और टिकाऊ कार्यान्वयन पर चर्चा के लिए अनुवर्ती बैठकें आयोजित करेंगे।”

कतर और तुर्की की मध्यस्थता से बनी बात

कतर और तुर्की पिछले कई महीनों से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संवाद को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वार्ता में कतर की भूमिका “शांतिदूत” की रही है, जिसने दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाने में अहम योगदान दिया।

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दोनों देशों के बीच तनाव के कारण

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। सीमा विवाद, आतंकवाद, और सीमा पार हमलों को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार टकराव हुआ है। विशेष रूप से डूरंड रेखा पर नियंत्रण को लेकर झड़पें आम हैं। दोनों देश एक-दूसरे पर उग्रवादी गुटों को पनाह देने का आरोप भी लगाते रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सराहना

संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान के इस कदम का स्वागत किया है। विशेषज्ञों ने इसे “दक्षिण एशिया में स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक शुरुआत” बताया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने कहा — “हम उम्मीद करते हैं कि यह युद्धविराम स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा और दोनों देश हिंसा के बजाय संवाद का रास्ता अपनाएंगे।”

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