अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने सोमवार को इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाओं पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। एक सरकारी आदेश के बाद देशभर में फैले फाइबर ऑप्टिक केबल काट दिए गए, जिसके चलते संचार सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। इस फैसले ने करोड़ों नागरिकों के जीवन को गहरी मुश्किलों में डाल दिया है।
इंटरनेट कनेक्टिविटी 1% से भी कम
ग्लोबल इंटरनेट मॉनिटरिंग संस्था नेटब्लॉक के अनुसार, आदेश लागू होने के बाद अफगानिस्तान में इंटरनेट कनेक्टिविटी सामान्य स्तर से गिरकर 1 प्रतिशत से भी कम रह गई। इस संचार ब्लैकआउट का सीधा असर बैंकिंग, ट्रेडिंग, शिक्षा, परिवहन और सीमा शुल्क जैसी अहम सेवाओं पर पड़ा है।
‘अनैतिकता रोकने’ के नाम पर इंटरनेट बैन
तालिबान शासन ने सितंबर की शुरुआत से ही इंटरनेट बैन की कार्रवाई शुरू कर दी थी। फाइबर ऑप्टिक केबल काटने का यह अभियान तालिबानी अधिकारियों ने ‘अनैतिकता रोकने’ के नाम पर शुरू किया।
16 सितंबर को बल्ख प्रांत में तालिबान प्रवक्ता अताउल्लाह जैद ने घोषणा की थी कि उत्तर में फाइबर ऑप्टिक सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं और संचार के अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
पहली बार पूरी तरह बंद हुई सेवाएं
यह पहला मौका है जब तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाओं को देशभर में पूरी तरह बंद किया गया है। संचार सेवाओं के अभाव ने लोगों को बैंकिंग से लेकर रोज़मर्रा की सुविधाओं तक बुरी तरह प्रभावित किया है।
महिलाओं पर सबसे गहरा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का सबसे नकारात्मक असर महिलाओं की शिक्षा और रोजगार पर पड़ेगा। पहले ही तालिबानी शासन में महिलाओं की पढ़ाई और काम पर पाबंदियां लगी हुई हैं। अब इंटरनेट बंद होने से ऑनलाइन शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच पूरी तरह से बाधित हो जाएगी।
भविष्य पर सवाल
तालिबान प्रवक्ता ने दावा किया है कि संचार सेवाओं के नए विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल देशभर की जनता संचार सुविधाओं के अभाव में गहरी परेशानी झेल रही है। सवाल यह है कि क्या तालिबान इंटरनेट के बगैर एक आधुनिक अफगानिस्तान की जरूरतों को पूरा कर पाएगा?