तीनों लोकतांत्रिक स्तंभ समान : मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई
📍 मुंबई |
“न्यायपालिका, कार्यपालिका या संसद — कोई सर्वोच्च नहीं… भारत का संविधान ही सर्वोच्च है।”
यह संदेश देश के नए मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने रविवार को मुंबई में जोरदार शब्दों में दिया।
न्यायमूर्ति गवई बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा आयोजित स्वागत समारोह एवं राज्य वकील सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ – न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका – को संविधान के दायरे में रहकर परस्पर सम्मान के साथ काम करना चाहिए।
🏛️ संविधान — सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और संसद में से कोई भी अंग सर्वोपरि नहीं है।
✍️ “संविधान ही सर्वोच्च है और हमें उसी के अनुसार कार्य करना है।”
उन्होंने कहा कि भारत आज एक मजबूत लोकतंत्र के रूप में न केवल स्थिर है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर लगातार प्रगति कर रहा है।
📘 न्यायमूर्ति गवई के ऐतिहासिक फैसलों पर पुस्तक विमोचन
इस विशेष अवसर पर न्यायमूर्ति गवई द्वारा सुनाए गए 50 महत्वपूर्ण निर्णयों पर आधारित एक स्मृति पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
यह पुस्तक न्यायपालिका में उनकी न्याय दृष्टि और योगदान का उत्कृष्ट उदाहरण मानी जा रही है।
🤝 लोकतंत्र की मजबूती के लिए सहयोग आवश्यक
मुख्य न्यायाधीश ने तीनों संवैधानिक अंगों से आपसी सम्मान और संतुलन बनाए रखने की अपील की।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की नींव तभी मजबूत रहेगी जब तीनों स्तंभ एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करेंगे और संविधान के मार्गदर्शन में कार्य करेंगे।
📌 मुख्य बिंदु:
-
भारत के 52वें CJI बने बी.आर. गवई
-
कहा – “संविधान सर्वोच्च है, न कि कोई एक संस्था”
-
न्याय, कार्य और विधायिका के सहयोग की वकालत
-
50 ऐतिहासिक फैसलों पर आधारित पुस्तक का विमोचन