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बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की 20 दिन बाद वतन वापसी

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गलती से सीमापार गए जवान को पाकिस्तान ने रिहा किया, परिवार में खुशी की लहर

📍 नई दिल्ली/अटारी बॉर्डर। भारत-पाकिस्तान सीमा पर इंसानियत की एक झलक देखने को मिली जब गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने वाले बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को 20 दिनों बाद रिहा कर दिया गया। आज सुबह 10 बजे पाकिस्तान ने उन्हें अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत को सौंपा।


🔎 क्या है पूरा मामला?

23 अप्रैल को फिरोजपुर सेक्टर की ममदोक पोस्ट पर तैनात बीएसएफ की 24वीं बटालियन के जवान पूर्णम कुमार शॉ, किसानों की सुरक्षा के लिए जीरो लाइन के पास ड्यूटी पर थे। अचानक तबीयत बिगड़ने पर वह पास के पेड़ की ओर बैठने चले गए, जो अनजाने में सीमा पार कर गया। वहां मौजूद पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया और हथियार भी जब्त कर लिए।

बीएसएफ अधिकारियों ने तुरंत पाक रेंजर्स से संपर्क किया और बताया कि जवान हाल ही में यहां ट्रांसफर होकर आया था, उसे जीरो लाइन की जानकारी नहीं थी। लेकिन पाकिस्तान ने रिहाई से इनकार कर दिया।


📸 वायरल हुईं जवान की तस्वीरें

कुछ ही दिनों बाद, पाक रेंजर्स ने दो तस्वीरें जारी कीं:

  • पहली तस्वीर में पूर्णम कुमार एक पेड़ के नीचे खड़े थे और उनकी राइफल, बैग व पानी की बोतल ज़मीन पर पड़ी थी।

  • दूसरी तस्वीर में जवान की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी, जिससे भारत में चिंता और गुस्सा दोनों बढ़ गया।


🕊 रिहाई के प्रयास और राजनयिक बातचीत

भारत ने जवान की वापसी के लिए तीन फ्लैग मीटिंग्स की, जो बेनतीजा रहीं। इसके बाद बीएसएफ डीजी दलजीत सिंह चौधरी ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से हस्तक्षेप की मांग की। उच्चस्तरीय प्रयासों के बाद आखिरकार पाकिस्तान ने रिहाई पर सहमति दी।


👨‍👩‍👦 परिवार की व्यथा, अब राहत

पूर्णम कुमार शॉ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिसड़ा गांव के निवासी हैं। उनके पकड़े जाने की खबर मिलने के बाद उनकी गर्भवती पत्नी रजनी फिरोजपुर पहुंचीं और बीएसएफ अधिकारियों से मिलकर पति की रिहाई की अपील की। तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें वापस भेजना पड़ा, लेकिन आज जवान की रिहाई ने पूरे परिवार को राहत दी है।


🪖 पहले भी हुए ऐसे मामले

यह पहला मौका नहीं है जब जवान गलती से सीमा पार कर गए हों।

  • 2011 में भी एक बीएसएफ जवान गलती से सीमा पार कर गया था और 10 दिन बाद रिहा हुआ।

  • पठानकोट हमले के बाद भी ऐसा मामला सामने आया था जहां जवान को 24 घंटे में वापस भेजा गया।

  • 2020 में एक जवान कुछ घंटे बाद वापस आ गया।

इन मामलों में आमतौर पर गलती से सीमा पार करने वाले जवानों को कुछ पूछताछ के बाद सुरक्षित वापस कर दिया गया है।


पूर्णम कुमार शॉ की रिहाई एक राहत भरी खबर है, जिसने यह दिखाया कि संवाद और संयम के ज़रिए भी जटिल मुद्दों का समाधान संभव है। बीएसएफ की त्वरित कार्रवाई, राजनयिक प्रयास और जवान के परिवार की प्रार्थनाओं ने अंततः उसे सुरक्षित वतन वापसी दिलाई।

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