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विकसित भारत का रास्ता… किसान के खेत से होकर गुजरता है

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उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ग्वालियर में कृषि विद्यार्थियों से किया संवाद | मुख्यमंत्री डॉ. यादव, राज्यपाल पटेल और केंद्रीय मंत्री सिंधिया भी हुए शामिल

📍 स्थान: राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर
🗓️ दिनांक: [हाल की तारीख अनुसार]


“किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, अब देश के आर्थिक परिवर्तन के केंद्र बिंदु हैं।”
इसी मूलमंत्र के साथ उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों और प्राध्यापकों के साथ संवाद करते हुए कहा कि—

🗣️ “विकसित भारत का रास्ता किसान के खेत से निकलता है। कृषि विद्यार्थियों को इस दिशा में अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से किसानों के जीवन में समृद्धि लाने के लिए संकल्प लेना होगा।”


🌿 कृषक बनें उत्पादक से एग्री-प्रेन्योर

उप राष्ट्रपति ने ज़ोर दिया कि कृषि विद्यार्थियों को सिर्फ पढ़ाई तक सीमित न रहकर किसानों को “उद्यमी किसान” (Agri-preneur) बनाने में सहायक बनना चाहिए।

🔹 पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट,
🔹 कोल्ड स्टोरेज,
🔹 वेयरहाउसिंग,
🔹 फसल मूल्य संवर्धन – इन सभी क्षेत्रों में छात्रों को नेतृत्व करना चाहिए ताकि किसान अपनी उपज को तत्काल बेचने के दबाव से मुक्त हो सकें।

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों का परस्पर संवाद कार्यक्रम आयोजित
राज्यपाल पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. यादव एवं केन्द्रीय मंत्री सिंधिया भी कार्यक्रम में हुए शामिल


👏 राज्यपाल और मुख्यमंत्री की प्रेरक बातें

🧭 राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा:

“कृषि ही भारत की रीढ़ है। लगभग 65% जनसंख्या आज भी कृषि पर निर्भर है। अगर हमें भारत को विकसित बनाना है, तो कृषि विश्वविद्यालयों को अनुसंधान के स्तर पर वैश्विक मानक अपनाने होंगे।”

💬 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा:

“प्रदेश का कृषि रकबा 45 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 55 लाख हेक्टेयर हो गया है। हमारी सरकार का लक्ष्य 1 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि को विकसित करना है। सिंचाई परियोजनाओं से बुंदेलखंड, चंबल और मालवा का चेहरा बदलेगा।”


🚜 कृषि और सिंचाई में आ रहा है क्रांतिकारी परिवर्तन

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इस अवसर पर युवाओं से सीधा संवाद करते हुए कहा:

“प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश कृषि, सिंचाई और विज्ञान में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। कैन-बेतवा, काली सिंध और चंबल नदी जोड़ परियोजना मध्यप्रदेश के लिए गेम चेंजर साबित होंगी।”

🧭 उन्होंने छात्रों से अपील की—

“आप ही कल का भारत हो, और आज ही से आपके कंधों पर विकसित भारत की नींव रखी जा रही है।”


🎓 विश्वविद्यालय के नवाचार पर एक नज़र

🔍 कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और कृषि विज्ञान केन्द्रों की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय न केवल पढ़ाई, बल्कि कृषि में नवाचार और स्थानीय किसानों के लिए तकनीकी सहायता में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।


🌱 निष्कर्ष

यह कार्यक्रम केवल संवाद नहीं, बल्कि एक “कृषि क्रांति की आहट” था। जिस तरह से देश भर के नीति-निर्माता, शिक्षक और विद्यार्थी एक मंच पर आए, यह स्पष्ट संकेत है कि भारत का भविष्य कृषि से जुड़ा है — और यह भविष्य उज्ज्वल है।

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