भोपाल, मध्यप्रदेश।
गिद्ध संरक्षण की दिशा में मध्यप्रदेश एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। भोपाल स्थित गिद्ध संवर्धन एवं प्रजनन केंद्र, केरवा से पहली बार 6 गिद्धों का समूह उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाएगा। यह कार्य 16 अप्रैल 2025 की सुबह 7:30 बजे, हलाली डेम के वन क्षेत्र, रामकली गौशाला के पास किया जाएगा।
कौन-कौन से गिद्ध होंगे शामिल?
इस समूह में कुल 6 गिद्ध हैं, जिनमें:
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2 सफेद पीठ वाले गिद्ध (White-rumped Vultures)
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4 लंबी चोंच वाले गिद्ध (Long-billed Vultures) शामिल हैं।
क्यों है यह खास?
👉 यह पहली बार है जब केरवा सेंटर से गिद्धों को छोड़ा जा रहा है।
👉 इन सभी गिद्धों का प्रजनन स्थानीय रूप से केरवा सेंटर में ही हुआ है।
👉 इन्हें छोड़ने से पहले 8 अप्रैल 2025 को मेडिकल जांच और मॉर्फोमेट्री की गई, जिसमें ये सभी पूरी तरह स्वस्थ पाए गए।
तकनीकी निगरानी के इंतजाम:
गिद्धों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 12 अप्रैल 2025 को सभी 6 गिद्धों पर ऑर्निट्रक 25 सौर ऊर्जा चालित GPS-GSM ट्रैकर लगाए गए हैं। ये ट्रैकर WWF इंडिया द्वारा प्रदान किए गए हैं और इनके माध्यम से गिद्धों के आवागमन और आवास उपयोग की निगरानी की जाएगी।
कौन-कौन रहेगा मौजूद?
गिद्धों को प्राकृतिक रहवास में छोड़ते समय इन प्रतिष्ठित विभागों के अधिकारी मौजूद रहेंगे:
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प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव)
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अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव)
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वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के प्रतिनिधि
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बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, मुंबई
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विश्व प्रकृति निधि भारत (WWF India)
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भोपाल, रायसेन और विदिशा वन मंडल के अधिकारी/कर्मचारी
केरवा गिद्ध केंद्र की पृष्ठभूमि:
केरवा गिद्ध संवर्धन केंद्र की स्थापना वर्ष 2014 में की गई थी और इसका संचालन बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के सहयोग से किया जा रहा है।
वर्तमान में इस केंद्र में:
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34 सफेद पीठ वाले गिद्ध
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46 लंबी चोंच वाले गिद्ध उपलब्ध हैं।
यह प्रयास क्यों है महत्वपूर्ण?
👉 भारत में गिद्धों की संख्या में भारी गिरावट आई है, जिसके पीछे डाइक्लोफेनेक जैसी दवाएं जिम्मेदार रही हैं।
👉 इनकी वापसी और संरक्षण इकोसिस्टम बैलेंस के लिए बेहद आवश्यक है।