भोपाल मेट्रो का बड़ा टेस्ट: CMRS टीम डिपो और ट्रैक का कर रही निरीक्षण, ‘ओके रिपोर्ट’ मिलते ही शुरू होगा आम लोगों का सफर

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भोपाल मेट्रो का बड़ा टेस्ट: CMRS टीम डिपो और ट्रैक का कर रही निरीक्षण, ‘ओके रिपोर्ट’ मिलते ही शुरू होगा आम लोगों का सफर

भोपाल। राजधानी की मेट्रो अब आम लोगों के लिए दौड़ने के करीब है। कमिश्नर मेट्रो रेल सेफ्टी (CMRS) की टीम मुंबई से भोपाल पहुंच चुकी है और दो दिन तक ट्रेन, डिपो और ट्रैक का बारीकी से निरीक्षण करेगी। गुरुवार सुबह टीम प्रमुख जनक कुमार गर्ग के साथ डिपो पहुँची और ट्रेन में सफर भी किया।

CMRS का दौरा मेट्रो संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ‘ओके रिपोर्ट’ मिलने के बाद ही कमर्शियल रन शुरू होगा, यानी आम लोगों के लिए मेट्रो यात्रा का रास्ता खुलेगा।

टीम किस पहलू की करेगी जांच?

मेट्रो अफसरों के अनुसार CMRS टीम मेट्रो के हर पहलू का निरीक्षण करेगी। इसमें शामिल हैं:

  • ट्रैक और नट-बोल्ट: रेल पटरियों का हर नट-बोल्ट और कनेक्शन जांचा जाएगा।
  • सिग्नल और सुरक्षा प्रणाली: ट्रेन संचालन के दौरान सुरक्षा मानक सही हैं या नहीं।
  • डिपो और ट्रेन संचालन: डिपो में ट्रेन की तैयारियों और रखरखाव की स्थिति।
  • सॉफ्टवेयर और फंक्शनिंग: ट्रेन के अंदर इस्तेमाल होने वाले सभी सॉफ्टवेयर सिस्टम।
  • इंट्री-एग्जिट गेट: स्टेशन पर यात्रियों के प्रवेश और निकासी के सभी प्रोटोकॉल।

यदि निरीक्षण में सब कुछ मानकों के अनुरूप पाया जाता है, तो टीम तुरंत ‘ओके रिपोर्ट’ जारी करेगी। वहीं, अगर कहीं कोई खामी पाई जाती है, तो उसे तुरंत सुधारने के निर्देश दिए जाएंगे।

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अक्टूबर में शुरू होने की उम्मीद

भोपाल मेट्रो का कमर्शियल रन अक्टूबर में प्रस्तावित है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखा सकते हैं। संभावना है कि वे भोपाल मेट्रो के पहले यात्री भी बनेंगे। इससे पहले 31 मई को इंदौर मेट्रो को भोपाल से हरी झंडी दिखाई गई थी।

मेट्रो के 3 बचे हुए स्टेशनों पर फोकस किया जा रहा है ताकि पूरा नेटवर्क यात्रियों के लिए तैयार हो सके।

अब तक की प्रगति और पिछला ट्रायल

भोपाल में पहला मेट्रो रूट एम्स से करोंद तक 16.05 किमी लंबा है। इसमें एम्स से सुभाष नगर तक 6.22 किमी प्रायोरिटी कॉरिडोर के तौर पर 2018 में काम शुरू हुआ था। बाकी स्टेशनों के कार्य अंतिम चरण में हैं।

रानी कमलापति स्टेशन तक पहली बार मेट्रो 3 अक्टूबर 2023 को दौड़ी थी, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्रेन में सफर किया। इसके अलावा रेल ट्रैक पर दो स्टील ब्रिज भी बनाए गए हैं।

CMRS का रोल और सुरक्षा मानक

CMRS का निरीक्षण मेट्रो संचालन के लिए निर्णायक होता है। टीम हर छोटे विवरण की जांच करती है क्योंकि सुरक्षा यात्रियों के लिए प्राथमिकता है। निरीक्षण में किसी भी खामी का तुरंत सुधार किया जाता है और फिर ही ‘ओके रिपोर्ट’ जारी होती है।

RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गेनाइजेशन) की टीम पहले ही मेट्रो के लिए ‘ओके’ रिपोर्ट दे चुकी है। CMRS की मंजूरी मिलने के बाद ही मेट्रो को आम लोगों के लिए चलाया जा सकेगा।

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