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जो रामप्रेमी नहीं, वो राष्ट्रप्रेमी नहीं : राघव ऋषि

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माधव मंगलम गार्डन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन गोबर्धन पूजन कर लगाए छप्पन भोग
ग्वालियर। जो श्रीराम से प्रेम कर उनके आदर्शों को अनुशरण करता है, वहीं राष्ट्रप्रेमी हो सकता है, क्योंकि राम ने अपने राष्ट्र के लिए राजपाठ त्याग वन का वरण किया। रामायण भगवान राम का और श्रीमद्भागत श्रीकृष्ण का साक्षात् रूप है। रामायण का पाठ से मन का दर्शन हो जाता है। ज्ञान की यह बात बनारस के राघव ऋषि महाराज कही।


माधव मंगलम गार्डन में ऋषि सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन मंगलवार को उन्होंने गोवर्धन लीला के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि गोवर्धन लीला इंन्द्रियों के दमन की लीला है। गौ का अर्थ है भक्ति। भक्ति को बढ़ाने वाली लीला ही गोवर्धन लीला है। इस दौरान भक्तों ने गोवर्धन के दर्शन किए और उन्हें 56 भोग लगाए।


राघव ऋषि ने कहा कि मैत्री जब तक भगवान से नहीं होगी, तब तक जीवन में आनंद नहीं होगा। सुग्रीव अपने भाई के अत्याचार से दुःखी था, लेकिन जैसे ही उसकी मित्रता श्रीराम से हुई उसका जीवन पुनः आनंदमयी हो गया।


कथा व्यास ने कहा कि वासना को जीतने के लिए जीवन को तपस्वी बनाना होगा। जीव जब ईश्वर से जुड़ जाता है तो उसका जीवन स्वतः ही सुंदर बन जाता है और भगवान की कथा जीवन की व्यथा को नष्ट कर देती है। बार-बार कथा सुनने से अंतकरण शुद्ध हो जाता है। भगवान की कृपा उसी को मिलती है जो उसे पाने के लिए कदम बढ़ाते हैं। धन संपत्ति जीवन का लक्ष्य नहीं। भगवान को प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य है।


राघव ऋषि ने बताया कि घर कितना ही छोटा हो, उसमें पूजा का स्थान अवश्य हो और बाथरूम के पास रसोई घर नहीं होना चाहिए। यदि रसोई घर में पूजाघर बनाना भी पड़े तो एक पानी का घड़ा भरकर रख देने से वास्तुदोष समाप्त हो जाता है।
उन्होंने बताया कि मंगल संतान को आज्ञाकारी बनाता है। बुध वाणी को नियंत्रित करता है। गुरू ज्ञान का कारक है। शुक्र भौतिक सुख सुविधाओं को प्रदान करने वाला है। शनि हमारे जीवन में दुःखों को नाश कर सुख प्रदान करता है।


श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह….आज
कार्यक्रम संयोजक रामबाबू अग्रवाल ने बताया कि बुधवार को छठवे दिन श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह का सरस प्रसंग रहेगा, जिसमें श्रीकृष्ण बारात भी निकाली जाएगी। मुख्य यजमान विनोद गोयल, मधु गोयल द्वारा कथा झांकी पोथी एवं व्यासपीठ पूजन किया। अशोक जैन, आनन्द मोहन अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, प्रमोद गर्ग, संजय शर्मा, अम्बरीष गुप्ता, मनीष गोयल, उमेश उप्पल, अनिल पुनियानी, देवेंद्र तिवारी, हरिओम मिश्रा, रामसिंह तोमर, रामप्रसाद शाक्य एवं बद्रीप्रसाद गुप्ता ने आरती की।

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