साल की तिमाही के आखिरी दिनों में शनिदेव का राशि परिवर्तन हो रहा है, यह ग्रह-नक्षत्र का योग और संयोग आने वाले समय में अनेक समस्याओं को जन्म देगा…..
धर्म डेस्क। 2025 का तीसरा माह यानी मार्च जारी है। इसे साल का सबसे खास और महत्वपूर्ण महीना माना जा रहा है। क्योंकि 29 मार्च को इस साल का सबसे बड़ा राशि परिवर्तन होने वाला है।
इस दिन शनि कुंभ राशि से अपनी यात्रा को विराम देते हुए देवगुरु की राशि मीन राशि में प्रवेश करेंगे। शनि 30 वर्षों बाद मीन राशि में आ रहे हैं। शनि के मीन राशि में प्रवेश करने से राहु के साथ उनकी युति बनेगी, जिससे पिशाच और ग्रहण योग का निर्माण होगा।
ज्योतिषियों के मुताबिक शनि का मीन राशि में आना न केवल 12 राशियों बल्कि देश-दुनिया के कार्यों और प्राकृतिक आपदाओं को भी प्रभावित करेगा।
गौरतलब है कि साल के आगमन से पहले कई ज्योतिष गणना की गई थी कि, यह साल ग्रहों के राजा मंगल का होगा, जो कई बड़ी घटनाओं का संकेत है। ऐसे में आइए ग्रहों के प्रभाव से होने वाली कुछ घटनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं…
शनि के राशि परिवर्तन से पहले की बड़ी घटना
ज्योतिष गणना के अनुसार 29 मार्च को शनि मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं। ठीक उससे पहले एक दिन पहले यानी 28 मार्च को म्यांमार में जोरदार भूकंप के झटकों को महसूस किया गया है। इसकी गति इतनी तेज थी कि इसके प्रभाव से थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी इन्हें महसूस किया गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार में 7.7 तीव्रता के इस भूकंप से करीब 25 लोगों के मारे जाने की खबर है।
साल के शुरू में की गई थीं ये भविष्यवाणियां
साल की शुरुआत से पहले कई ज्योतिषियों ने यह गणना की थी कि, जब भी न्याय के देवता शनि मीन में आएंगे, तब दुनिया में विश्व युद्ध की शुरुआत की भूमिका का दूसरा चरण प्रारंभ होगा। यही नहीं रशिया यूक्रेन, इजरायल हमास के बाद बदलती दुनिया में अब नए मोर्चों पर युद्ध का बिगुल बज सकता है।
गुरु के गोचर से क्या होगा परिवर्तन ?
ज्योतिष गणना के अनुसार देवगुरु बृहस्पति 14 मई को वृषभ राशि की अपनी यात्रा को विराम देते हुए मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। गुरु का मिथुन राशि में आना देश-दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। बता दें, गुरु ग्रह की बिगड़ी चाल से जलवायु परिवर्तन और मौसम में काफी बदलाव आ सकता है।
राहु का प्रभाव
राहु ग्रह 18 मई को शाम 5 बजकर 08 मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इससे कोरोना वायरस की तरह कोई नई महामारी के आने का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही कई अन्य बड़े बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। प्राकृतिक आपदा भी आ सकती है और मौसम का मिजाज बदलने से लोगों की परेशानियां बढ़ सकती हैं।