सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए राजनीतिक दलों से सुझाव मांगा है और कहा है कि यह चिंता जनता के पैसों को सही तरीके से खर्च कISRO launch rocket: जानकारी के मुताबिक देश के 75 स्कूल की 750 छात्राओं ने मिलकर तैयार किया है। इसकी लंबाई 34 मीटर है, इसका व्यास 6.7 फीट है और इसका कुल वजन 120 टन है|रने को लेकर है। यह सुनवाई सोमवार तक स्थगित कर दी गई है।
ISRO launch rocket: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 7 अगस्त को इतिहास रच दिया। बता दें कि इसरो ने रविवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से अपने पहले स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) को लॉन्च किया है। इस रॉकेट की मदद से छोटे सैटेलाइट की लॉन्चिंग आसानी से की जा सकेगी। इस छोटे रॉकेट की खासियत यह है कि इसे देश की बेटियों ने तैयार किया है। इसकी लंबाई 34 मीटर है, इसका व्यास 6.7 फीट है और इसका कुल वजन 120 टन है।
आजादी के 75वें स्वतंत्रा दिवस पर लॉन्च किए गए SSLV को काफी खास माना जा रहा है। दरअसल आजादी के अमृत महोत्सव पर देश के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने आजादी सैटेलाइट का निर्माण किया है। इन छात्राओं द्वारा तैयार किये गए आजादी सैटेलाइट से 500 किलोग्राम के सैटेलाइट को निचली कक्षा में भेजा जाएगा।
इसकी लॉन्चिंग देश की नारी शक्ति और देश के भविष्य में बेटियों की भागीदारी को भी दर्शाता है। लॉन्चिंग के दौरान स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल में ईओएएस 02 (EOS02) और आजादी सेट (AzaadiSAT) सैटेलाइट्स जा रहे हैं।
रविवार की सुबह 9:18 बजे लॉन्च किए गए इस सैटेलाइट एक ऐसी यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है, जो आने वाले कुछ सालों में पीएसएलवी (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) की जगह एसएसएलवी को इसरो द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला लॉन्चिंग यान बनने की उम्मीद है। बता दें कि पीएसएलवी अब तक 50 से अधिक उड़ानें कर चुका है।
क्यों माना जा रहा है गेमचेंजर:
अभी तक छोटे-छोटे सैटेलाइट्स जिनके वजन 5 से 1,000 किलोग्राम होते हैं, को लॉन्चिंग के लिए बड़े सैटेलाइट का इंतजार करना पड़ता था। इनके लिए एक स्पेसबस तैयार करके बड़े सैटेलाइट्स के साथ असेंबल करके भेजना होता था। मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे सैटेलाइट्स काफी ज्यादा संख्या में आ रहे हैं। उन्हें लान्च करने का बाजार भी बढ़ रहा है।
दरअसल, पिछले आठ से दस वर्षों में छोटे उपग्रहों के लॉन्चिंग की मांग तेजी से बढ़ी है। इसको ध्यान में रखते हुए ISRO ने SSLV राकेट को बनाने की तैयारी की। अनुमान है कि अगले दस सालों में दस हज़ार से भी अधिक छोटे उपग्रहों को लॉन्च किया जाएगा। इससे अंतरिक्ष में कम बजट में लॉन्चिंग संभव हो सकेगी।
यह इसरो के लिए भी एक अच्छा व्यावसायिक अवसर भी प्रदान करेगा। क्योंकि ज्यादातर मांग उन कंपनियों से आती है जो कॉमर्शियल उद्देश्यों के लिए अपने सैटेलाइट लॉन्च कर रही हैं। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में कई नए सेवा प्रदाताओं ने लॉन्चिंग सेवाओं की पेशकश शुरू कर दी है। भारत में भी अंतरिक्ष क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए तेजी से खोला जा रहा है।