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रामायण की 10 खास बातें:रावण श्रीराम से पहले शिव जी, बालि, सहस्त्रबाहु अर्जुन से भी हो चुका था पराजित, वह नहीं मानता था किसी की भी सलाह

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आज (5 अक्टूबर) दशहरा है। इसी तिथि पर श्रीराम ने रावण का वध किया था। वैसे तो रावण बहुत ज्ञानी था, सभी वेदों का जानकार था, शिव जी का परम भक्त था, बहुत शक्तिशाली था और वह अंहकारी भी था। खुद को सिर्फ सर्वश्रेष्ठ समझता था। रावण में महिलाओं का सम्मान नहीं करता था। एक शाप की वजह से रावण ने सीता को महल में नहीं, बल्कि अशोक वाटिका में रखा था। जानिए रामायण की 10 खास बातें…

  1. शिव जी के कैलाश पर्वत को उठाने लगा था रावण

रावण शक्तिशाली था और उसे अपनी ताकत का घमंड भी था। इसी घमंड में वह शिव जी से युद्ध करने कैलाश पर्वत पहुंच गया था। उस समय शिव जी ध्यान कर रहे थे। रावण ने शिव जी को युद्ध के लिए पुकारा, लेकिन भगवान ध्यान में बैठे रहे।

शिव जी का ध्यान नहीं टूटा तो रावण गुस्सा हो गया और वह कैलाश पर्वत को उठाने लगा। तब शिव जी ने अपने पैर के अंगूठे से ही कैलाश पर्वत का भार बढ़ा दिया।
कैलाश के भार से रावण का हाथ दब गया। इसके बाद रावण ने शिव जी को अपना गुरु बना लिया और क्षमा मांगी।

  1. राजा बलि से युद्ध करने पहुंचा रावण
    रावण अपनी शक्ति के घमंड में दैत्यराज बलि से युद्ध करने पाताल में पहुंच गया था। रावण तीनों लोक जीतना चाहता था। बलि के यहां कुछ बच्चों ने रावण को पकड़कर बांध दिया था और इस तरह रावण का पाताल लोक जीतने का सपना अधूरा रह गया।
  1. सुग्रीव के भाई बालि ने रावण को दबा लिया था अपनी बाजू में
    एक बार रावण बालि से लड़ने से पहुंच गया। उस बालि समुद्र की परिक्रमा कर रहा था। इस दौरान रावण बार-बार बालि को युद्ध करने के लिए पुकार रहा था। तब बालि ने रावण को अपनी बाजू में दबा लिया और समुद्र की परिक्रमा करने लगा। इस तरह रावण बालि से हार गया और उसने बालि से मित्रता कर ली।
  2. सहस्त्रबाहु अर्जुन ने नर्मदा नदी में बहा दिया था रावण को
    सहस्त्रबाहु अर्जुन के एक हजार हाथ थे, इस कारण उसका नाम सहस्त्रबाहु पड़ा था। एक दिन रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंच गया। उस समय सहस्त्रबाहु ने अपने हजार हाथों से नर्मदा नदी के बहाव को रोक दिया और फिर अचानक नर्मदा का पानी छोड़ दिया, इस तेज बहाव में रावण बह गया था।
  1. कुंभकर्ण को देखकर चिंतित हो गए थे ब्रह्मा जी
    रावण विभीषण और कुंभकर्ण के साथ ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए तप कर रहा था। तीनों भाइयों की तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और तीनों को वर मांगने के लिए कहा।
    रावण और विभीषण को वर देने बाद कुंभकर्ण को देखकर ब्रह्मा जी चिंतित हो गए थे। ब्रह्मा जी ने सोचा कि अगर कुंभकर्ण हर रोज भरपेट भोजन करेगा तो जल्दी ही पूरी सृष्टि खत्म हो जाएगी।
    ब्रह्मा जी ने सरस्वती की मदद से कुंभकर्ण की बुद्धि भ्रमित कर दी और फिर कुंभकर्ण ने मतिभ्रम की वजह से 6 माह तक सोते रहने का वरदान मांग लिया।

  1. राम-रावण युद्ध के समय विभीषण के बाद कुंभकर्ण ने भी रावण को समझाने की कोशिश की थी कि वह श्रीराम से बैर न करे, लेकिन रावण ने दोनों भाइयों की बात नहीं मानी।

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