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निशाने पर कश्मीरी हिंदू, तो फिर मुश्किल होगा घाटी में आतंकवाद पर लगाम लगाना

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यह सही है कि जो आतंकी इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं उन्हें देर-सबेर मार गिराया जाता है लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इससे डर के साये में रह रहे कश्मीरी हिंदू अपनी सुरक्षा की चिंता से मुक्त हो पाते हैं?

यह चिंता की बात है कि आतंकी एक बार फिर कश्मीरी हिंदुओं को निशाना बनाने में सफल रहे। इस बार उन्होंने शोपियां के एक गांव में सेब के बाग में काम कर रहे दो कश्मीरी हिंदू भाइयों पर गोलियां बरसाईं, जिनमें एक की मौत हो गई और दूसरा अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। इसके पहले अप्रैल में इसी गांव में एक कश्मीरी हिंदू को गोली मार कर घायल कर दिया था। यह ठीक नहीं कि घाटी में रह-रहकर कश्मीरी हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाया जाता रहे। यदि इस सिलसिले को रोका नहीं गया तो कश्मीर में बचे-खुचे हिंदुओं और सिखों को यह भरोसा दिलाना कठिन होता जाएगा कि वे वहां सुरक्षित हैं।

इस तरह की घटनाएं थमी नहीं तो कश्मीरी हिंदुओं को फिर से घाटी में बसाने का लक्ष्य भी पूरा होने वाला नहीं है। यह सही है कि जो आतंकी इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं, उन्हें देर-सबेर मार गिराया जाता है, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इससे डर के साये में रह रहे कश्मीरी हिंदू अपनी सुरक्षा की चिंता से मुक्त हो पाते हैं? इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कश्मीर में सक्रिय आतंकी गैर-कश्मीरियों को भी निशाना बनाने में लगे हुए हैं। अभी पिछले सप्ताह ही आतंकियों ने बिहार के एक मजदूर को गोली मार दी थी, जिसकी अस्पताल में मौत हो गई थी।

यह भी कम खतरनाक नहीं कि आतंकी जिस तरह रह-रहकर कश्मीरी हिंदुओं-सिखों और गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाते रहते हैं, उसी तरह पुलिस एवं सुरक्षा बलों के जवानों को भी। यह सही है कि आतंकियों के मारे जाने का सिलसिला कायम है और हर सप्ताह दो-चार आतंकी मारे जा रहे हैं, लेकिन यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि नित-नए आतंकी पैदा हो रहे हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं कि सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ भी जारी है। स्पष्ट है कि इन दोनों मोर्चों पर काम करने की सख्त जरूरत है।

न केवल उन कारणों की तह तक जाना होगा, जिनके चलते कश्मीरी युवा अभी भी हथियार उठाकर आतंकी बन जा रहे हैं, बल्कि यह भी देखना होगा कि उन्हें बरगलाने और प्रशिक्षण देने का काम कौन कर रहा है? क्या वे पहले की तरह आतंकी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान जाने में समर्थ हैं? इन सवालों का जवाब मिलना ही चाहिए। इसके साथ ही इसके लिए भी प्रयास करने होंगे कि सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ पूरी तरह थमे। यदि सीमा पार यानी पाकिस्तान में आतंकियों को प्रशिक्षित करने और फिर उनकी कश्मीर में घुसपैठ कराने का काम जारी रहता है, तो फिर घाटी में आतंकवाद पर लगाम लगाना कठिन ही होगा। ( जागरण )

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