ग्वालियर। आज की भागदौड़ की जिंदगी में कई बार इंसान चाहकर भी जप नहीं कर पाता है। जप के लिए यदि समय नहीं निकाल पा रहे तो मानसी जप जरूर करना चाहिए, यानि अपने काम को करते हुए भगवान का नाम सुमरिन करते रहना। जैसे कि यदि गाड़ी चला रहे हो अथवा पैदल घूम रहे हो, हर वक्त जब भगवान का ध्यान करोगो तो उनसे आपका एक नजदीका रिश्ता बन जाएगा। यह विचार माधव मंगलम गार्डन में ऋषि सेवा समिति द्वारा आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा के सांतवे दिन गुरूवार को कथा व्यास राघव ऋषि ने व्यक्त किए। कथा संयोजक रामबाबू अग्रवाल ने बताया कि शुक्रवार को समापन दिवस भावपूर्ण प्रसंग सहित विविध प्रसंगों पर सुबह 10 से 12 बजे तक वर्णन होगा, तत्पश्चात भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि एकर करोड़ जप से आरोग्य और 8 करोड़ जप से अकाल मृत्यु नहीं होती है। सत्संग भक्ति नहीं भक्ति का प्रकार है। सत्संग और भक्ति एक नहीं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। सत्संग करने वाला यदि भक्ति नही करेगा तो वह सार्थक नहीं हैं। इसी तरह भक्ति करने वाला यदि सत्संग नहीं करेगा तो पूर्ण रस नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि कई लोग वर्षों से कथा तो सुन रहे हैं लेकिन भक्ति नही कर पाते हैं। सत्संग के संग भक्ति जरूरी है। उन्होंने कहा कि जो धर्म को नहीं मानता है, धर्म उसका नाश कर देता है। जीवन में यदि ग्रंथ, मंत्र संत और कंत हो तो धर्म अर्थ काम मोक्ष फलीभूत हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति करते समय यदि आंसू निकलने लगें तो समझो तन मन पवित्र हो गया।
उन्होंने कहा कि मनुष्य सुख पाना चाहता है परन्तु सही दिशा में प्रयास नहीं करता है। मनुष्य का स्वभाव है वह बिना किसी प्रयत्न और कष्ट के सुख चाहता है। मनुष्य पुण्य करना नहीं चाहता फिर भी पुण्य के फल की इच्छा रखता है। पाप करता है फिर भी पाप के फल को नहीं चाहता
सुदामा चरित्र की व्याख्या करते हुए राघव ऋ षि ने कहा कि सुदामा अर्थात् सुंदर रस्सी से बंधा हुआ। माता, पिता, भाई, पत्नी पुत्र आदि दस रस्सियों से जीवरूपी सुदामा बंधा है। वो अपनी पत्नी की कहने पर भगवान के घर की ओर कदम बढाता है। जीव यदि दो कदम प्रभु के लिए आगे बढ़े तो भगवान सौ कदम आगे बढ़ते हैं। इस अवसर पर सौरभ ऋ षि ने अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो भजन सुनाया तो लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
पोथी, व्यासपीठ पूजन एवं झंाकीपूजन मुख्य यजमान मधु-विनोद गोयल ने सपरिवार किया गया। इस मौके पर चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण शिवहरे, समिति के आनन्द मोहन अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, प्रमोद गर्ग, संजय शर्मा, अम्बरीष गुप्ता, उमेश उप्पल, मनीष गोयल, देवेंद्र तिवारी सहित अनेक श्रद्धालु श्रोता मौजूद रहे।